फांसी की सजा पाए दो दोषियों की याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

High court review a plea for execution of hanging two accused
फांसी की सजा पाए दो दोषियों की याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
फांसी की सजा पाए दो दोषियों की याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने देरी के आधार पर फांसी की सजा को रद्द करने की मांग को लेकर दो मुजरिमों की ओर से दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। दोनों मुजरिमों को साल 2007 में बीपीओ की महिला कर्मचारी के साथ सामुहिक बलात्कार व हत्या के मामले में फांसी की सजा सुनाई गई है। मंगलवार को राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति स्वपना जोशी की खंडपीठ के सामने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में दोषी पाए गए दोनों आरोपी की फांसी की सजा को सही माना है।

ऐसे में महज देरी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को प्रभावहीन बनाना उचित नजर नहीं आता है। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता युग चौधरी ने कहा कि सरकार की ओर से मेरे मुवक्किल से जुड़े जरुरी दस्तावेज नहीं सौपे गए है। इन दस्तावेजों पर गौर किए बिना ही राष्ट्रपति ने मेरे मुवक्किल की दया याचिका पर निर्णय  ले लिया है। मंगलवार को मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया।

 गौरतलब है कि सबसे पहले इस मामले में आरोपी पुरुषोत्म बरोटे व प्रवीण कोकाडे को पुणे की सत्र न्यायालय ने पहले फांसी की सजा सुनाई थी। आगामी 24 जून को बरोटे व कोकाडे को फांसी दी जानी थी। जिसके खिलाफ इन दोनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कोर्ट के अगले आदेश तक इन दोनों की फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी।  दोनों याचिकाकर्ताओं ने याचिका में दावा किया है कि उन्हें फांसी की सजा देने व उनकी दया याचिकाओं के निपटारे में काफी विलंब हुआ है। इसलिए उनकी फांसी की सजा पर रोक लगाई जाए। सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट की पुष्टि के बाद राष्ट्रपति तथा राज्यपाल ने इन दोनों याचिकाकर्ताओं की दया याचिका को खारिज कर दिया है।  

Created On :   25 Jun 2019 12:54 PM GMT

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