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हाईकोर्ट ने कहा- प्रवेश नहीं देकर केन्द्रीय विद्यालय ने नहीं की गलती
5 किमी क्षेत्र में रहवास प्रमाणित होने पर छात्रा के प्रवेश पर फिर से विचार करें
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा है कि आरटीई एक्ट में पड़ोस शब्द का उपयोग किया गया है। केन्द्रीय विद्यालय बैतूल ने मुलताई निवासी छात्रा को एडमिशन नहीं देकर कोई गलती नहीं की है। जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकल पीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए कहा है कि यदि छात्रा अपना रहवास बैतूल के 5 किमी के दायरे में प्रमाणित करती है तो उसके प्रवेश पर फिर से विचार किया जाए। मुलताई निवासी सुरेन्द्र गवाड़े की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि उसने वर्ष 2020 में अपनी पुत्री पूर्वी गवाड़े को आरटीई एक्ट के तहत केन्द्रीय विद्यालय बैतूल में कक्षा पहली में प्रवेश दिलाने के लिए आवेदन दिया था। अधिवक्ता वृंदावन तिवारी ने तर्क दिया कि केन्द्रीय विद्यालय ने उसे यह कहते हुए प्रवेश देने से इनकार कर दिया कि उनका निवासी बैतूल के 5 किमी दायरे से बाहर है, जबकि छात्रा के चाचा का निवास बैतूल में है। दिल्ली और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 5 किमी के दायरे के बाहर के छात्रों को भी आरटीई के तहत प्रवेश की अनुमति प्रदान की है। केन्द्रीय विद्यालय की ओर से अधिवक्ता पंकज दुबे ने तर्क दिया कि केन्द्रीय विद्यालय के नियम में स्पष्ट है कि पड़ोस का क्षेत्र 5 किमी का होगा। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने कहा कि केन्द्रीय विद्यालय ने मुलताई की छात्रा को प्रवेश नहीं देकर कोई गलती नहीं की है।
Created On :   23 Feb 2021 3:10 PM IST