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हाईकोर्ट ने कहा- विरोध के स्वर दबाना ज्यादा खतरनाक
डिजिटल डेस्क, नागपुर। पुलिस द्वारा भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर आजाद रावण की सभा पर रोक लगाने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने टिप्पणी में कहा है कि लोकतंत्र में सबको संविधान के दायरे में रहते हुए असहमति दर्शाने का अधिकार है। रैलियां विरोध प्रदर्शन के तरीके हैं। यह सुरक्षा दीवार की तरह काम करती हैं। विरोध के स्वर को ही दबा देना ज्यादा खतरनाक है। न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्या.माधव जामदार की खंडपीठ ने गुरुवार को यह टिप्पणी की है। गुरुवार को हुई सुनवाई में सभा को अनुमति नकारने पर नागपुर पुलिस ने कोर्ट में तर्क दिया है कि आरएसएस और भीम आर्मी दोनों विपरीत विचारधारा वाले संगठन हैं। मैदान के पास ही हेडगेवार स्मारक है। इसलिए पुलिस ने भीम आर्मी को रेशिमबाग मैदान पर सभा करने की अनुमति नहीं दी है। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने शुक्रवार सुबह फैसला सुनाने का निर्णय लिया है। मामले में सरकार की ओर से सरकारी वकील केतकी जोशी ने पक्ष रखा।
पुलिस की दलील पर पलटवार करते हुए भीम आर्मी के अधिवक्ता फिरदौस मिर्जा ने कोर्ट में दलील दी कि भीम आर्मी संविधान की विचारधारा वाला संगठन है, इसके विपरित विचारधारा वाला कोई संगठन भारत में कैसे हो सकता है? विविध पक्षों और दलीलों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्या.माधव जामदार की खंडपीठ ने टिप्पणी में कहा कि हम नागपुर में दिल्ली जैसे हालात नहीं चाहते। यदि विरोध प्रदर्शन के लिए तय नियमों के तहत अनुमति ली जाती है, तो इस बात में कोई तथ्य नहीं रह जाता कि आरएसएस या अन्य किसी भी संगठन का मुख्यालय नजदीक है। यदि संगठन कोर्ट में शपथपत्र देकर कह रहा है कि उनका कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है, तो कार्यक्रम शांतिपूर्ण ढंग से हो इसकी पूरी जिम्मेदारी आयोजकों की होगी। हां, कोई बाहरी तत्व वहां आकर अशांति और हिंसा जैसी गतिविधियां ना कर सकते यह पुलिस को सुनिश्चित करना चाहिए।
याचिकाकर्ता संगठन के अनुसार वे संवैधानिक मूल्यों में दृढ़ विश्वास रखते हैं। संगठन ने 22 फरवरी को शहर के रेशिमबाग मैदान में कार्यकर्ता सम्मेलन रखा है, जिसे आजाद संबोधित करने वाले हैं। इस आयोजन के लिए संगठन ने नागपुर सुधार प्रन्यास से अनापत्ति प्रमाण-पत्र भी ले रखा है, लेकिन नागपुर पुलिस आयुक्त ने संगठन के इस आयोजन की अनुमति नकार दी। कारण दिया कि इस आयोजन से शहर की शांति व्यवस्था भंग होने की आशंका है। ऐसे में संगठन ने हाईकोर्ट की शरण ली है। याचिकाकर्ता की ओर से एड.फिरदौस मिर्जा ने पक्ष रखा। एड.अब्दुल सुभान और एड.अल्पेश देशमुख ने उन्हें सहयोग किया।
Created On :   21 Feb 2020 6:00 PM IST