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हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा - आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के मामले में संज्ञान लेने की जरूरत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को ऐसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के मामले का संज्ञान लेने को कहा है, जिसके अंतगर्त महिलाओं की तस्वीरें नग्न कर दी जाती है। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक को लेकर लगातार रिपोर्ट आ रही है। यह बेहद गंभीर मामला है, इसलिए इस विषय को लेकर उचित कदम उठाया जाना जरुरी है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि महिलाओं की तस्वीरों को नग्न करने से जुड़े आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विषय में अखबारों में खबर आयी है। इसलिए एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय का ध्यान इस बारे में अकार्षित कराए। खंडपीठ के सामने फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के मामले को लेकर न्यूज चैनलों पर हुए कथित मीडिया ट्रायल पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिकाओ पर सुनवाई चल रही है। इस दौरान खंडपीठ ने चैनलों पर प्रसारित होनेवाली सामग्री के नियमन को लेकर वैधानिक व्यवस्था बनाने को लेकर सवाल उठाया।
आत्म अनुशासन को माने न्यूज चैनल
जिसको लेकर एडिशनल सालिसिटर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार चाहती है कि न्यूज चैनल आत्म अनुशासन के सिध्दांत को अपनाएं। यदि मीडिया हाउस नियमों व दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हैं, तो केंद्र सरकार निश्चित तौर पर कार्रवाई करेगा। साल 2013 से अब तक 213 चैनलों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इस पर खंडपीठ ने आर्टिफिशएल इंटेलिजेंस को लेकर एक अखबार में छपी खबर का जिक्र किया और सिंह को इस बारे में सूचना प्रसारण मंत्रालय से जानकारी इकट्टा करने को कहा। खंडपीठ ने कहा कि हम चाहते है कि आप (एडिशनल सालिसिटर ) इस खबर की सच्चाई व दुराशय के पहलू की जांच करें। क्योंकि यह बेहद गंभीर विषय है। इस पर सिंह ने कहा कि उन्होंने आर्टिफिशएल इंटेलिजेंस से जुड़ी रिपोर्ट देखी है और इस बारे में अधिकारी से भी बात की है। इस मामले में सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी।
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि यदि सरकार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के आचारण को नियंत्रित करने के पक्ष में नहीं है, तो वह कम से कम हवाई तंरगों के दुरुपयोग को तो रोक सकती है। क्योंकि हवाई तंरगे सार्वजनिक संपत्ति हैं। इसका दुरुपयोग करने की इजाजत कैसे दी जा सकती है। इस पर सिंह ने कहा कि सरकार मुख्य रुप से प्रसारण को लेकर लाईसेंस जारी करती है, वह कंटेट को लेकर लाइसेंस नहीं देती है। जहां तक बात हवाई तरंगों के दुरुपयोग की है, तो इस मामले को देखने के लिए दूर संचार नियामक प्राधिकरण है।
इससे पहले खंडपीठ ने न्यूज ब्राडकास्टर फेडरेशन के वकील को कहा कि वे मीडिया को लेकर शिकायतों का इंतजार क्यों करते हैं। वे स्वयं से कार्रवाई क्यों नहीं करते। फेडरेशन के वकील ने कहा कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन करनेवाले संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की व्यवस्था बनाई है।
Created On :   21 Oct 2020 6:23 PM IST