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जिले का 'गांधी ज्ञान मंदिर', यहां आज भी मौजूद है महापुरुषों की रचनाएं

डिजिटल डेस्क, वर्धा। गांधी जिले के रूप में पूरे देश में विख्यात वर्धा जिले में कई ऐसी ऐतिहासिक धरोहरें हैं जो इस जिले को विशेष बनाती है। बापू की कुटी, मगन संग्रहालय, विनोबा का आश्रम और भी न जानें कितनी ही धरोहरें इस जिले के ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध होने की गवाही देती हैं। इनमें से ही एक है यहां पर स्थित है "गांधी ज्ञान मंदिर"। इस मंदिर में आज भी महापुरुषों के विचार और रचनाएं सुरक्षित रखे हुए हैं।
गौरतलब है कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने 31 दिसंबर 1950 को स्थापित ज्ञान का संग्रहालय यानी गांधी ज्ञान मंदिर (लाइब्रेरी) वर्धा शहर में संविधान के महानायक बाबासाहेब आंबेडकर पार्क के समीप स्थित है जिसका उद्घाटन प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु के हाथों 5 जनवरी 1954 को किया गया था। आज यह इस संग्रहालय से ज्ञान की गंगा प्रवाहित होती देखी जा सकती है। गांधी ज्ञान मंदिर का संचालन विश्वस्त मंडल कर रहा है। इसके सचिव भरत महोदय, गांधी विचार परिषद को भी संचालित करते हैं। वे बापू के उच्च विचारों का प्रचार और प्रसार करने में लगे हुए हैं।
राष्ट्रपति डा.राजेंद्र प्रसाद ने इसका निर्माण इस उद्देश्य से किया था ताकि महापुरुषों के विचारों तथा रचनाओं को एक स्थान पर संग्रहित कर सुरक्षित रखा जा सके, ताकि आनेवाली पीढ़ी उन विचारों,आर्दशों और उनकी रचनाओं को पढ़कर सत्कर्म करने के लिए प्रेरित होती रहे। महाराष्ट्र सरकार की ओर से इस पुस्तकालय को ए ग्रेड दिया गया है। यहां पर महात्मा गांधी से जुड़ी दो से ढाई हजार किताबें हैं। इसी प्रकार वर्तमान में यहां आमजनों को पढ़ने के लिए करीब 40 हजार महापुरुषों की जीवनी, मनोविज्ञान, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, मेडिकल साइंस, इतिहास, नॉवेल, ललित कला, कविता-कहानी, एग्रीकल्चर भाषा शास्त्र से जुड़ी किताबें मौजूद हैं।
विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित लगभग 80 मासिक, त्रैमासिक, छहमासिक, वार्षिक पत्रिकाएं यहां आती रहती हैं जिसमें विभिन्न प्रतियोगिताओं से संबंधित पत्रिकाएं, खेल, राजनीति, एग्रीकल्चर, महिलाओं तथा युवाओं के लिए रोजगार से संबंधित पत्रिकाओं का भी समावेश है। इस पुस्तकालय को अध्ययन की दृष्टि से पांच विंग में विभाजित किया गया है। बाल विभाग जिसमें बच्चे आकर अध्ययन करते हैं, वाचन विभाग इसमें कोई भी सामान्य व्यक्ति बैठकर अध्ययन कर सकता है। संदर्भ विभाग यह शोधार्थियों के लिए बनाया गया है। महिला विभाग में लड़कियां और महिलाएं बैठकर अध्ययन करती हैं।
इस पुस्तकालय की सदस्यता 510 रुपए देकर हासिल की जाती है जिसमें 300 डिपॉजिट होता है और 200 रुपए सालीना फीस होती है और 10 रुपये सदस्यता फीस। बिना सदस्यता लिए भी यहां आकर अध्ययन किया जा सकता है, लेकिन किताब घर में लाकर पढ़ने के लिए सदस्यता अनिवार्य है। यह पुस्तकालय सुबह 8 से 12 बजे और शाम 4.30 से 7.30 तक खुला रहता है। 12 से 4 बजे तक सिर्फ लड़कियां ही अध्ययन कर सकती हैं। इस पुस्तकालय की देखरेख अर्चना, प्रकाश व क्लर्क योगेश तथा चपरासी रामभाऊ को यहां पर तैनात किया गया है। यहां पर वर्धा की शालाओं के विद्यार्थी एवं शहर के अन्य लोग काफी संख्या में अध्ययन करने आते हैं।


Created On :   25 Oct 2017 10:19 AM IST