उम्मींद भरी आंखे और भूखा पेट, बताओ ऐ जिन्दगी - कितने और रंग दिखाओगी...

Hopeful eyes and hungry stomach, at what point did life become standing
उम्मींद भरी आंखे और भूखा पेट, बताओ ऐ जिन्दगी - कितने और रंग दिखाओगी...
उम्मींद भरी आंखे और भूखा पेट, बताओ ऐ जिन्दगी - कितने और रंग दिखाओगी...

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लॉकडाउन का पहला दौर तो जैसे तैसे बीता, दूसरा दौर दिल की धड़कन बढ़ाए जा रहा है। छोटे से घर में एक तरह से कैद सी होकर रह गई है, जिंदगी। पेट तो जेल में भी भरता है। हम तक भी भोजन की मुठ्‌ठी पहुंच रही है। लेकिन हमारी तो भूख मर गई है। बर्बादी का आनेवाला मंजर बार बार आंखों में गूंजता है। हर दिन रतजगा चल रहा है। आंखें सूज गई है। अंधे मोड़ पर खड़ी है जिंदगी, न जाने और क्या क्या दिन दिखाएगी। 

Created On :   15 April 2020 3:53 PM IST

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