सदन : सिन्हा बोले - पुसद में बने सत्याग्रह स्थल, नेते ने उठाई गड़चिरोली की यह मांग

House: Sinha said - Satyagraha site built in Pusad, Nete raised this demand for Gadchiroli
सदन : सिन्हा बोले - पुसद में बने सत्याग्रह स्थल, नेते ने उठाई गड़चिरोली की यह मांग
सदन : सिन्हा बोले - पुसद में बने सत्याग्रह स्थल, नेते ने उठाई गड़चिरोली की यह मांग

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रावेर से भाजपा सांसद रक्षा खडसे ने लोकसभा में क्षेत्र के ओबीसी में शामिल लेवा जाति समुदाय के कई छात्रों को उनके जाति प्रमाणपत्र में Leva के बजाय Lewa स्पेलिंग लिखे जाने के कारण उन्हें उच्च शिक्षा संस्थानों में एडमिशन में आरक्षण नहीं मिल पाने के मुद्दे की ओर सदन का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि वह सभी केन्द्रीय संस्थानों को शीघ्र आदेश जारी करें कि जब तक इसमें सुधार (W के बदले V) नहीं होता तब तक इन दोनों शब्दों को एक ही जाति मानकर ऐसे सभी विद्यार्थियों को ओबीसी आरक्षण का लाभ दिया जाए। सांसद खडसे ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि उनके संसदीय क्षेत्र में इस जाति समुदाय के ज्यादातर लोग मूलनिवासी हैं। पिछले दो वर्षों से इसमें सुधार (W के बदले V करने) करने के लिए केन्द्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय के अलावा राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग (एनसीबीसी) में भी कई आवेदन किए गए है, लेकिन आज तक इसमें सुधार नहीं किया गया है। उन्होंने सदन को बताया कि एनसीबीसी आयोग ने इस विषय को जस्टीस रोहिनी कमीशन में भी वर्ग किया है, जिसकी समय सीमा और छह महीने बढाई गई है। इसके मद्देनजर सरकार से आग्रह है कि इसमें गलती से लिखे गए शब्द को तुरंत दुरुस्त किए जाने की संस्तुति करें।

पुसद में बने सत्याग्रह स्थल और म्यूजियम : राकेश सिन्हा

राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने वर्ष 1930 में यवतमाल के पुसद में हुए ‘जंगल सत्याग्रह’ के मद्देनजर यहां सत्याग्रह स्थल और सत्याग्रह की यादों का म्यूजियम बनाने की मांग की है। उन्होने कहा कि पुसद सत्याग्रह स्थल सात दशकों से उपेक्षित है। राकेश सिन्हा ने यह मांग गुरूवार को राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान उठाई। उन्होने कहा कि भारत स्वतंत्रता संग्राम की 75वीं वर्षगांठ मं प्रवेश कर रहा है। इस अवसर पर उपेक्षित पुसद सत्याग्रह स्थल को याद करने का समय है। उन्होने बताया कि 1930 में महात्मा गांधी ने जब सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू की थी, तब पुसद में ऐतिहासिक जंगल सत्याग्रह हुआ था। इसका नेतृत्व डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने किया था। वे विदर्भ कांग्रेस के पूर्व सचिव तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आद्य सरसंघचालक थे। 14 जुलाई 1930 को वे सैकड़ों सत्याग्रहियों के साथ नागपुर रवाना हुए और वर्धा सहित अनेक स्थानों से होते हुए वे यवतमाल में पुसद पहुंचे। उस दिन सत्याग्रह स्थल पर वे 10 हजार लोगों के साथ पहुंचे थे। विदर्भ में सविनय अवज्ञा आंदोलन ‘जंगल सत्याग्रह’ के रूप में आयोजित किया गया था। तब डॉ हेडगेवार गिरफ्तार हुए और उन्हें एक वर्ष का सश्रम कारावास की सजा मिली। सांसद ने कहा कि यह स्थल जंगल के बीच में सिर्फ एक साइनबोर्ड के साथ उपेक्षित है। 

गड़चिरोली जिले के धार्मिक स्थलों को केन्द्रीय पर्यटन सूची में शामिल किया जाए

गड़चिरोली-चिमुर से भाजपा सांसद अशोक नेते ने लोकसभा में उनके आदिवासी बहुल संसदीय क्षेत्र में स्थित विभिन्न धार्मिक स्थलों को केन्द्रीय पर्यटन सूची में शामिल करने की मांग उठाई। उन्होंने इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार से अनुरोध किया कि  इन सभी स्थलों को पर्यटन के रुप में विकसित करने के साथ-साथ वहां के मार्गों की मरम्मत कर आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। सासंद नेते ने कहा कि क्षेत्र के चामोर्शी में मार्कंडा देवस्थान एक बड़ा धार्मिक स्थल है। इस स्थल को विदर्भ का काशी भा कहा जाता है। महाशिवरात्री के दिन यहां करीब 15-20 लाख श्रद्धालु पहुंचते है। इसी तरह कछाड़गढ में आदिवासी देवता लिंगोजंगो का मंदिर और अति प्राचीन गुफा भी है। यहां न केवल महाराष्ट्र से बल्कि विभिन्न राज्यों छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, झारखंड, उडिसा समेत अन्य आदिवासी बहुल क्षेत्रों से आदिवासी श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते है। हर वर्ष फरवरी महीने में विशेष उत्सव के दौरान हजारों की संख्या में प्राचीन गुफा और मंदिर के दर्शन के लिए श्रद्धालु पहुंचते है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि उक्त के साथ अन्य धार्मिक स्थलों को केन्द्रीय पर्यटन सूची में शामिल कर यहां मार्गों के मरम्मत के साथ क्षेत्र में शौचालयों, धर्मशालाओं का निर्माण, आदिवासियों के कला-गुणों को विकसित करने के लिए सांस्कृतिक भवनों का निर्माण, पेयजल के साथ अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए और इसके लिए धन के आबंटन के लिए शीघ्र उचित कार्यवाही की जाए। 

रेल कोच फैक्ट्री में 70 फीसदी स्थानीय युवाओं को मिले रोजगार

लातूर से भाजपा सांसद सुधाकर श्रृंगारे ने लोकसभा में सरकार का इस मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित किया है कि उनके संसदीय क्षेत्र में रेल कोच फैक्टरी की स्थापना तो हो गई है, लेकिन फैक्ट्री के लिए किस-किस प्रकार के कच्चे माल की जरुरत है के संबंध में भरसक प्रयासों के बावजूद उन्हें कोई जानकारी नहीं मिल सकी है।
उन्होंने हैरानी जताते हुए सदन को इस बात से भी अवगत किया कि उन्हें यह भी जानकारी नहीं मिल पायी है कि फैक्ट्री में रोजगार के लिए किस-किस कौशल के कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। उन्होंने सदन से कहा कि भले ही उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी हो, लेकिन सरकार से अनुरोध है कि वह लातूर कोच फैक्ट्री की कच्चे माल की अधिकाधिक जरुरतों को स्थानीय स्त्रोतों से पूरा करें। संबंधित कच्चे माल की जरुरतों के बारे में जानकारी जल्द से जल्द स्थानीय लोगों को उपलब्ध कराई जाए, ताकि इस संबंध में यहां अनुशांघिक उद्योग लगाकर कोच फैक्ट्री की जरुरतों के सामान की आपूर्ति करना स्थानीय रुप से संभव हो सके। सांसद श्रृंगारे ने इसके साथ ही यह मांग की कि रेल कोच फैक्ट्री में कम से कम 70 फीसदी स्थानीय युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जाए। 
 

Created On :   11 Feb 2021 4:32 PM GMT

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