कैसे रखेंगे निगरानी, जलवायु परिवर्तन विभाग में खाली पड़े हैं पद

How to keep monitoring, vacancies are vacant in climate change department
कैसे रखेंगे निगरानी, जलवायु परिवर्तन विभाग में खाली पड़े हैं पद
कैसे रखेंगे निगरानी, जलवायु परिवर्तन विभाग में खाली पड़े हैं पद

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ग्लोबल वार्मिंग की चिंता पूरी दुनिया में सता रही है ऐसे पर्यावरण पर नजर रखना सबसे अधिक जरूरी है लेकिन इस पर नजर रखने वाले केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन  विभाग में पिछले दो साल से 18 पद रिक्त पड़े हैं जिसे भरने के लिए अब तक कोई कदम उठाए गए हैं।  जलवायु परिवर्तन को जानने-समझने और संबंधित उपाय योजना करने के लिए नागपुर में अधिकारी ही उपलब्ध नहीं हैं। बता दें कि यह विभाग का रीजनल कार्यालय नागपुर में है और यहां पद खाली पड़े हुए हैं। जलवायु परिवर्तन पर बारीकी से नजर रखने के लिए जरूरी प्रधान मुख्य वन संरक्षक व साइंटिस्ट के भी पद पूरी तरह भरे नहीं गए हैं। महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ में छोटे-बड़े हजारों उद्योग व प्रोजेक्ट हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। इसका सीधा असर जलवायु पर पड़ता है।

आरटीआई से खुलासा
जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण पर नजर रखकर उचित उपाय योजना करने का काम  केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का है। इस विभाग के देश में 10 रीजनल कार्यालय हैं, जिसमें से एक नागपुर में है। दो साल पहले शुरू हुए इस कार्यालय का कार्यक्षेत्र पूरा महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ है। जलवायु पर नजर रखने के लिए यहां 30 अधिकारी-कर्मियों का स्टॉफ है। 30 में से 18 पद खाली होने का खुलासा आरटीआई से मिली जानकारी में  हुआ है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक, साइंटिस्ट, रिसर्च आफिसर, टेक्निकल आफिसर व रिसर्च इंवेस्टिगेटर का पद काफी अहम होता है। विभाग की जिम्मेदारी इनके कंधों पर ही होती है।

महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ तक फैला है कार्यक्षेत्र  
प्रधान मुख्य वन संरक्षक 4 की जगह 1 ही है, साइंटिस्ट 4 की जगह 3 ही है, रिसर्च आफिसर 2 चाहिए पर एक भी नहीं है, टेक्निकल आफिसर के 2 में से 1 पद रिक्त हैं। इस तरह कुल 18 पद खाली हैं। रीजनल कार्यालय का कार्यक्षेत्र महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ तक फैला है आैर इस पर नजर रखने के लिए महज 12 अधिकारी-कर्मचारी हैं। मंत्रालय उद्योगों व प्रोजेक्ट को 6 हजार क्लीयरेंस दे चुका है। इससे पर्यावरण को खतरा न हो, यह देखने का काम विभाग का है। अधिकारियों को संंबंधित स्थानों पर विजिट करके रिपोर्ट तैयार करनी होती है। मानकों का पालन नहीं होने पर रिपोर्ट मुख्यालय के माध्यम से मंत्रालय को भेजनी होती है।

मंत्रालय से होगी भर्ती
रीजनल कार्यालय में 18 पद खाली हैं। पर्यावरण के मानकों का पालन नहीं करनेवाले उद्योगों की रिपोर्ट मंत्रालय में करनी होती है। साइंटिस्ट को एक महीने में 5 जगह का दौरा करना पड़ता है। स्टॉफ की कमी है आैर इसे मंत्रालय से ही भरा जा सकता है। बेमौसम बारिश, तेज गर्मी (तापमान) व अचानक मौसम का बदलना जलवायु परिवर्तन का नतीजा है आैर इसके लिए तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन पर हमारी पैनी नजर है। इससे ज्यादा बोलने के लिए मैं अधिकृत नहीं हूं। (चरणजीत सिंह, साइंटिस्ट नागपुर विभाग) (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय)

पद भरने की दिशा में नहीं उठाए ठोस कदम 
देश-दुनिया में तेजी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। इसी को देखते हुए रीजनल कार्यालय 6 से बढ़ाकर 10 किए गए हैं। दो साल से नागपुर में कार्यालय खुला, लेकिन यहां स्टॉफ की भारी कमी है। 30 में केवल 12 पद ही भरे गए हैं। पद मंत्रालय से भरे जाने की जानकारी आरटीआई में दी, लेकिन रिक्त पदों को भरने के लिए कार्यालय से ठोस कदम नहीं उठाए गए।   
-संजय थुल, आरटीआई एक्टिविस्ट
 

Created On :   5 April 2018 12:46 PM IST

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