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परीक्षा विभाग में भारी गड़बड़ी, हस्ताक्षर लेकर नहीं दिए गए मूल्यांकनकर्ताओं को मानदेय
डिजिटल डेस्क, नागपुर। यूनिवर्सिटी के भरत नगर स्थित परीक्षा विभाग के लॉकर से लाखों रुपए गायब होने का मामला वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा खूब दबाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन यह मामला स्प्रिंग की तरह उछल रहा है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नागपुर विश्वविद्यालय परीक्षा के मूल्यांकन (ऑनलाइन और ऑफलाइन) के लिए स्पॉट सेंटर के प्रमुखों को 50 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपए एडवांस जारी करता है। लेकिन यह रकम मूल्यांकनकर्ताओं और मॉडरेटरों तक पहुंच ही नहीं रहा है। कई मूल्यांकनकर्ता तो ऐसे है जिन्हें कई वर्षों से उनके मानदेय का भुगतान नहीं दिया गया, जबकि उनसे काफी पहले भुगतान रजिस्टर पर हस्ताक्षर ले लिए गए।
यह है मामला
उल्लेखनीय है कि नागपुर यूनिवर्सिटी ने साइंस और टेक्नोलॉजी, कॉमस और मैनेजमेंट, ह्यूमेनिटीज और इंटरडिसिप्लीनरी फैकल्टी के लिए कुल तीन स्पॉट चीफ नियुक्त किए हैं। परीक्षा देने वाले लाखों विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं जांचने के बदले में मूल्यांकनकर्ताओं को यूनिवर्सिटी मानदेय जारी करता है। करीब चार वर्षों पूर्व यूनिवर्सिटी ने मानदेय जल्दी देने के लिए कैश और चेक व्यवस्था लागू की थी, लेकिन बीते दो वर्षों से इसमें कई अनियमितताएं सामने आ रही हैं, जिसके बावजूद यूनिवर्सिटी इस पर आंख मूंद कर चल रहा था।
एक मूल्यांकनकर्ता की मानें तो करीब डेढ़ वर्ष पूर्व उससे रजिस्ट्रर पर दस्तखत लेकर चेक भिजवाने या अकाउंट में कैश भिजवाने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब तक उसे यूनिवर्सिटी की ओर से कोई भुगतान नहीं हुआ है। सूत्रों की मानें तो संबंधित अधिकारी-कर्मचारी ऐसे मामलों में जानबूझकर गलत नाम का चेक तैयार करते हैं, ताकि सामने वाला मूल्यांकनकर्ता उसे न भुना सके। इससे बची रकम बड़ी चतुराई से ठिकाने लगा दी जाती है।
विद्यार्थियों में अधिकारियों के प्रति नाराजगी
नागपुर यूनिवर्सिटी में ठिकाने लगाई जा रही रकम विद्यार्थियों का पैसा है। गड़बड़ी खुल कर उजागर होने के बाद भी यूनिवर्सिटी अधिकारियों का इस प्रकार मौन साधकर एफआईआर कराने से बच रहे हैं। इस बात को लेकर विद्यार्थियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। एनएसयूआई के अजीत सिंह नेतृत्व में विद्यार्थियों ने हस्ताक्षर अभियान चलाया गया है। विद्यार्थियों की मांग है कि विवि इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराए।
संगठन के अनुसार विद्यार्थी यूनिवर्सिटी के हर अधिकारी को अब संदेह की निगाह से देखते हैं। इस तरह मौन साधे रहना यूनिवर्सिटी की साख पर बट्टा है। यूनिवर्सिटी अधिकारी यदि पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराते हैं तो विद्यार्थी स्वयं राज्यपाल कार्यालय से मामले की शिकायत करेंगे।
Created On :   14 March 2019 11:53 AM IST