बिना मंजूरी 3 करोड़ के पॉलीमर बस्ते की खरीदी पर भारी बवाल

Huge uproar over the purchase of polymer bags of 3 crores without approval
बिना मंजूरी 3 करोड़ के पॉलीमर बस्ते की खरीदी पर भारी बवाल
गहराया शक बिना मंजूरी 3 करोड़ के पॉलीमर बस्ते की खरीदी पर भारी बवाल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला परिषद के शिक्षा विभाग में पॉलीमर बस्ते की खरीदी का प्रकरण विवादों में घिर गया है। सभागृह में मिनट्स को मंजूरी के पहले ही पॉलीमर बस्तों की खरीदी कर स्कूलों में बांटने का मामला सामने आया है। इसलिए शक और गहरा गया है। दरअसल में मई महीने में पॉलीमर बस्ते के विषय को जिला परिषद की आमसभा में मंजूरी दी गई थी। 2 करोड़ 89 लाख रुपए की पॉलीमर बस्ते की खरीदी कर स्कूल को सप्लाई करनी थी। मई में ऑनलाइन सभा में प्रस्ताव को मंजूरी मिली। जब मिनट्स को मंजूरी के लिए अगस्त में आयोजित आमसभा में रखा गया तो पता चला कि सदस्यों की इसकी जानकारी नहीं है। हंगामे और नेटवर्क की समस्या के बीच यह विषय मंजूर करने का खुलासा हुआ। विशेष यह कि आमसभा की मंजूरी के पहले इस विषय को जिप स्थायी समिति और शिक्षण समिति की मंजूरी आवश्यक थी। लेकिन दोनों समितियों की मंजूरी बिना विषय सीधे आमसभा में रखे जाने से मामला और संदिग्ध बन गया है। ऐसे में सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर ऐसी कौन सी जल्दबाजी थी, जिसके चलते समितियों की मंजूरी लिए बिना सीधे आमसभा में रखकर हंगामे के बीच मंजूरी दी गई। 

इसलिए बढ़ा विवाद

पॉलीमर बस्तों की खरीदी का प्रस्ताव पहले शिक्षण समिति में रखने की उम्मीद थी। समिति की मंजूरी के बाद स्थायी समिति की मंजूरी लेकर आमसभा में रखना चाहिए था। शिक्षा विभाग ने दोनों समितियों को अंधेरे में रखकर सीधे आमसभा में प्रस्ताव रखा। मई महीने की आमसभा में मंजूरी भी दी गई। प्रोसिडिंग सदस्यों के हाथ पहुंचने पर शिक्षा समिति सदस्य चौंक गए। समिति की बिना मंजूरी लिए आमसभा में प्रस्ताव कैसे रखा गया, इस बात को लेकर सदस्य आक्रामक हो गए। अगस्त महीने की आमसभा में सदस्यों ने विरोध करने पर अध्यक्ष ने विषय को स्थगिती देकर शिक्षण समिति की मंजूरी के बाद सदन में प्रस्ताव रखने के निर्देश दिए।

सदस्यों को भनक नहीं

बस्ता खरीदी प्रस्ताव की शिक्षा समिति सदस्यों को भनक भी नहीं लगी। दरअसल, आॅनलाइन आमसभा में नेटवर्क की समस्या के कारण विषय को मंजूरी देने पर भी सदस्य समझ नहीं सके। अगली सभा में मिनट्स कायम करने से पहले सदस्यों की मांग पर पिछली सभा में मंजूर प्रस्ताव का वाचन करने पर विषय पता चला। शिक्षण समिति तथा स्थायी समिति की बिना मंजूरी लिए आमसभा में प्रस्ताव रखने के पीछे शिक्षण समिति सभापति आैर शिक्षणाधिकारी की साठगांठ मानी जा रही है।

अंधेरे में रखा- सकते में आया शिक्षा विभाग

सूत्रों ने बताया कि सदन को अंधेरे में रखकर बस्ते की खरीदी की गई। संबंधित ठेकेदार को बिल का भुगतान भी कर दिया गया है। खरीदी पर विवाद उठने से शिक्षा विभाग सकते में आ गया है।

सीईओ से करेंगे जांच की मांग

प्रकाश खापरे, सदस्य सत्तापक्ष के मुताबिक शिक्षण समिति की बिना मंजूरी लिए आमसभा में प्रस्ताव लाया गया। आमसभा का इतिवृत्त कायम होने से पहले खरीदी कर बस्ते स्कूल पहुंचाए गए। अगस्त महीने में अध्यक्ष ने इस विषय को स्थगित कर पहले शिक्षण समिति की मंजूरी के लिए वापस भेज दिया है। खरीदी किए गए बस्ते गुणवत्ता पर खरे नहीं है। इन सारे मुद्दों पर सीईओ का ध्यान आकर्षित कर गहन जांच की मांग की जाएगी।

 

Created On :   6 Sept 2021 5:06 PM IST

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