बेरोजागारी का बहाना बनाकर गुजाराभत्ता देने से नहीं बच सकता पति

Husband cannot avoid giving alimony by making excuse of unemployed
बेरोजागारी का बहाना बनाकर गुजाराभत्ता देने से नहीं बच सकता पति
बेरोजागारी का बहाना बनाकर गुजाराभत्ता देने से नहीं बच सकता पति

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में साफ किया है कि पति भले ही बेरोजगार है फिर भी उसे अपनी पत्नी व बच्चे को गुजाराभत्ता देना ही होगा। बेरोजगारी का बहाना बनाकर वह गुजाराभत्ता देने से नहीं बच सकता है। यह बात कहते हुए हाईकोर्ट ने पति को अलग रह रही पत्नी व बच्चे को दस-दस हजार रुपए गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति नितिन सांब्रे ने पति की याचिका को खारिज करते हुए यह निर्देश दिया है। पति ने पुणे की पारिवारिक अदालत के आदेश को चुनौती दी थी जिसके अंतर्गत पति को अपनी पत्नी व बच्चे को दस-दस हजार रुपए गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था।

सुनवाई के दौरान पति ने दावा किया वह अपनी कैनडा की नौकरी छोड़कर भारत आ गया है। अब वह बेरोजागार है। इसलिए वह अपनी पत्नी को गुजाराभत्ता नहीं दे सकता है। पति ने दावा किया पहले पारिवारिक अदालत ने पत्नी को 15 हजार रुपए गुजारेभत्ते के रुप में देने को कहा था। लेकिन अब अतिरिक्त दस हजार रुपए का भुगतान करने को कहा है । मौजूदा समय में वह बढा हुआ अतिरिक्त गुजाराभत्ता देने की स्थिति में नहीं है। इसलिए दस हजार रुपए अतिरिक्त गुजाराभत्ता देने के आदेश को रद्द किया जाए। 

 न्यायमूर्ति ने याचिका पर गौर करने के बाद पाया कि पति उच्च शिक्षित है। वह कैमिकल इंजीनियर है उसके पास एमबीए की डिग्री भी  है। कैनडा में जब वह नौकरी करता था तो उसका मासिक वेतन दो लाख रुपए था। इस लिहाज से हमे गुजारेभत्ते को लेकर पारिवारिक अदालत की ओर से दिए गए आदेश में कोई खामी नहीं नजर आती है। यह पूरी तरह से तर्कसंगत आदेश है। न्यायमूर्ति ने कहा कि पति खुद को बेरोजगार बताकर पत्नी को गुजाराभत्ता देने की अपनी जिम्मेंदारी से नहीं भाग सकता है। यह बात कहते हुए न्यायमूर्ति ने पति की ओर से निचली अदालत के खिलाफ दायर की गई अपील स्वरुप याचिका को खारिज कर दिया। 
 

Created On :   30 Jan 2020 2:27 PM GMT

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