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निलंबन वापसी पर सतीश चतुर्वेदी ने कहा - मैने खुद को कभी कांग्रेस के बाहर नहीं समझा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने नागपुर के पूर्व मंत्री सतीश चतुर्वेदी का निलंबन वापस ले लिया है। अखिल भारतीय कांग्रेस की सूचना पर चतुर्वेदी का निलंबन वापस लिया गया। बुधवार को प्रदेश कांग्रेस के महासचिव गणेश पाटील ने चतुर्वेदी को निलंबन वापसी के बारे में पत्र लिखा। जिसमें कहा गया कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहब थोरात के निर्देश पर यह पत्र भेजा गया है। नागपुर महानगर पालिका चुनाव में बागी उम्मीदवारों को मदद और प्रचार करने के कारण प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने चतुर्वेदी का निलंबित कर दिया था। इससे पहले जून महीने में चतुर्वेदी के पुत्र दुष्यंत चुतुर्वेदी ने शिवसेना में प्रवेश किया था।
पूर्व मंत्री चतुर्वेदी कांग्रेस में लौटे, निलंबन रद्द
पूर्व मंत्री डॉ.सतीश चतुर्वेदी अब कांग्रेस में लौट आए हैं। पार्टी ने उनका निलंबन रद्द कर दिया है। डेढ़ वर्ष पहले उन्हें निलंबित किया गया था। कहा गया है कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्च ने यह निर्णय लिया है। इस मामले पर चतुर्वेदी ने कहा है कि संगठन स्तर पर भले ही जो कुछ भी हुआ, लेकिन उन्होंने कभी स्वयं को कांग्रेस के बाहर नहीं समझा है। कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर पहले भी संगठन के लिए काम करते थे, अब भी करते रहेंगे। शहर कांग्रेस में गुटबाजी में एक बड़े गुट के नेता के तौर पर चतुर्वेदी की पहचान है। कांग्रेस से निलंबित रहते हुए भी मनपा की राजनीति में उनका गुट प्रभावी रहा है। ऐसे में माना जा सकता है कि चतुर्वेदी गुट शहर कांग्रेस में और अधिक सक्रियता के साथ सामने आएगा। गाैरतलब है कि मनपा चुनाव के पहले चतुर्वेदी व कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण के बीच राजनीतिक टकराव सामने आया था।
टिकट वितरण को लेकर विवाद था। लिहाजा मनपा चुनाव में गुटबाजी का जमकर प्रदर्शन हुआ। कांग्रेस नेताओं की प्रतिकात्मक शवयात्रा तक निकाली गई। मनपा चुनाव के लिए प्रचार करने आए चव्हाण पर सभा मंच पर आकर स्याही फेंकी गई। यही नहीं चव्हाण को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने की मांग के साथ दिल्ली के दौरे लगाए गए। चतुर्वेदी के साथ पूर्व मंत्री नितीन राऊत, पूर्व सांसद गेव आवारी, पूर्व विधायक अशोक धवड़, चंद्रपुर के पूर्व सांसद नरेश पुगलिया व अन्य नेता थे। नागपुर के अलावा चंद्रपुर में भी गुटबाजी का जमकर प्रदर्शन हुआ। शहर की राजनीति में पूर्व केंद्रीय मंत्री विलास मुत्तेमवार, शहर अध्यक्ष विकास ठाकरे को चतुर्वेदी व राऊत गुट का विरोधी माना गया। राजनीतिक दांवपेंच के बीच चतुर्वेदी को प्रदेश कांग्रेस की ओर से नोटिस जारी किए गए।
मनपा चुनाव में पार्टी विरोधी उम्मीदवार का चुनाव प्रचार करने के मामले में चतुर्वेदी से जवाब मांगा गया। लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। लिहाजा 22 फरवरी 2018 को प्रदेश कांग्रेस की ओर से पत्र जारी कर चतुर्वेदी को पार्टी से निलंबित कर दिया गया। उसके बाद चतुर्वेदी समर्थक उनके निलंबन को वापस लेने की मांग करते रह गए। उधर नितीन राऊत का कांग्रेस एससी मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया। बाद में बालासाहब थाेरात प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने तो राऊत को कार्याध्यक्ष बना दिया गया। थोरात को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग करनेवालों में चतुर्वेदी भी शामिल थे। थाेरात व चतुर्वेदी राज्य मंत्रिमंडल में साथ साथ मंत्री रह चुके हैं। माना जा रहा था कि थोरात के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद चतुर्वेदी कभी भी कांग्रेस में लौट सकते हैं।
एक दिन पहले ही शिवसेना का प्रदर्शन
सतीश चतुर्वेदी के पुत्र दुष्यंत चतुर्वेदी ने शिवसेना में प्रवेश लिया है। बुधवार को प्रियदर्शिनी कालेज में युवा सेना के प्रमुख अादित्य ठाकरे का संवाद कार्यक्रम हुआ। उनके स्वागत में बड़ी रैली निकाली गई। शहर में शिवसेना कार्यकर्ता के तौर पर दुष्यंत ने उपस्थित दर्ज की। माना जा रहा था कि दुष्यंत को आगे रखकर सतीश चतुर्वेदी शिवसेना की राजनीति में परोक्ष तौर से सक्रिय होंगे। लेकिन दूसरे दिन ही उनका निलंबन रद्द हो गया।
प्रमुख हिंदी भाषी चेहरा
राज्य की राजनीति में सतीश चतुर्वेदी की पहचान कांग्रेस के प्रमुख हिंदी भाषी चेहरा की भी है। कृपाशंकरसिंह, नसीम खान जैसे कांग्रेस के हिंदी भाषी चेहरे हैं। लेकिन चतुर्वेदी का राज्य की राजनीति में 40 साल का योगदान है। वे नागपुर से 5 बार विधायक चुने गए हैं। करीब 25 साल तक मंत्री रहे हैं। विविध शैक्षणिक संस्थाओं से जुड़े हैं।
Created On :   28 Aug 2019 7:29 PM IST