अपने ज्ञान और क्षमता के मुताबिक हर काम बेहतर तरीके से करूंगा

I will do everything in the best way according to my knowledge and ability
अपने ज्ञान और क्षमता के मुताबिक हर काम बेहतर तरीके से करूंगा
मेरा वादा है अपने ज्ञान और क्षमता के मुताबिक हर काम बेहतर तरीके से करूंगा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। यहां मेरा बचपन बीता, यहां के लोगों, जगहों और कुछ खास पलों को कभी नहीं भुला सकता। मेरे पिता वर्ष 1974 में नागपुर खंडपीठ में न्यायमूर्ति बने। तब तक न तो मैंने हाईकोर्ट देखा था और न ही अपने पिता को बतौर जज काम करते देखा था। लेकिन कुछ वक्त के बाद यह स्पष्ट हो गया कि मेरे पिता ज्यादा दिनों तक जज नहीं बने रहेंगे। उनके कामकाज के आखिरी दिन मैं हाईकोर्ट गया। वहां काला गाउन पहने वकीलों की आभा देखी। इसके बाद कोर्ट रूम में जाकर अपने पिता को बतौर जज देखा। ये याद कभी नहीं भुला सकता। आज भारत का मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बनने के बाद वापस नागपुर आकर कई यादें ताजा हो गई। देश के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश उदय ललित शनिवार को हाईकोर्ट बार एसाेसिएशन द्वारा आयोजित अपने सत्कार समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने इस दौरान नागपुर से जुड़े अपने जीवन के कई प्रसंग याद किए। 

भावुक हुए सीजेआई
मेरे दादा ने सोलापुर से वकालत शुरू की। मेरे पिता, मैं और मेरी अगली पीढ़ी भी विधि क्षेत्र में है। हमारा परिवार 102 वर्ष से इस क्षेत्र की सेवा में है और आगे भी रहेगा। ये सच है कि बतौर सीजेआई मुझे सिर्फ 3 माह का ही कार्यकाल मिला है। लेकिन आप कितना काम करते हैं, इससे ज्यादा ये मायने रखता है कि आप कैसे काम करते हैं। अपने भाषण के बीच भावुक हुए सीजेआई ने नागपुर से देश की जनता को वादा किया "मैं अपने ज्ञान, अनुभव और क्षमता अनुसार जितना बेहतर होगा उतना करूंगा"। 

पूर्व सीजेआई ने दीं शुभकामनाएं : न्या.ललित के सम्मान में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने शनिवार शाम 6.30 बजे शहर के सिविल लाइंस स्थित देशपांडे सभागृह में सत्कार समारोह का आयोजन किया, जिसमें देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश शरद बोबडे ने भी न्या.ललित के नाम शुभकामना संदेश भेजा। कार्यक्रम की प्रस्तावना एचसीबीए अध्यक्ष एड.अतुल पांडे ने रखी। इस दौरान मंच पर न्या.प्रसन्ना वराले, न्या.सुनील शुक्रे, न्या.अतुल चांदुरकर, बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायमूर्ति भूषण धर्माधिकारी, न्या.उदय ललित की पत्नी एड.अमिता ललित की मौजूदगी थी। कार्यक्रम का संचालन एड.रेणुका सिरपुरकर और एड.राधिका बजाज ने किया। आभार प्रदर्शन एचसीबीए सचिव अमोल जलतारे ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पूर्व व वर्तमान जजों, वकीलों और विधि विद्यार्थियों की उपस्थिति थी।   

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भूषण गवई ने कहा कि चाहे न्या.ललित को बतौर मुख्य न्यायाधीश तीन ही माह का कार्यकाल मिल रहा हो, लेकिन उनके काम करने की रफ्तार बुलेट ट्रेन की तरह है। सीजेआई बनते ही उन्होंने सबसे पहले सर्वोच्च न्यायालय के सभी जजों को इकठ्ठा करके तीन घंटे की बैठक ली। यह देश के इतिहास में पहली बार हुआ। उन्होंने हम जजों की समस्याओं और सुझावों को सुना। सर्वोच्च न्यायालय में मामलों की सुनवाई की प्रणाली को दुरुस्त किया, जिसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। 

कार्यक्रम के विशेष अतिथि सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति विकास सिरपुरकर ने कहा कि देश की न्यायपालिका ने सबसे कठिनतम परिस्थितियों का डट कर सामना करते हुए देश को संकट से निकाला। मुझे पूरा विश्वास है कि न्या.ललित के न्यायपालिका के कमान संभालने के बाद न्यापालिका और प्रखर तरीके से संवैधानिक मूल्यों का जतन करती रहेगी। कार्यक्रम मंे मौजूद बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति दीपांकर दत्तो ने न्या.ललित से अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए बताया कि न्या.ललित ने उन्हें पहली मुलाकात में सर कह कर संबोधित किया। जबकि उनका ओहदा न्या.दत्तो से कहीं बड़ा था। यह न्या.ललित की परस्पर सम्मान की भावना काे प्रकट करता है। 

Created On :   4 Sept 2022 5:17 PM IST

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