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अब चंद सेकंड में फिंगर प्रिंट से हो सकेगी लावारिस शवों की शिनाख्त

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अब चंद सेकंड में फिंगर प्रिंट से लावारिस शवों की शिनाख्त संभव हो सकेगी। नई टेक्नालाजी से यह कार्य आसान होने जा रहा है। हर दिन न जाने कितने लोग अकेले सफर करते हैं और इस यात्रा के दौरान कई बार अचानक से हुई दुर्घटना और अनहोनी मृत्यु का कारण बन जाती है। अत्याधुनिक युग होने के बाद भी टेक्नोलॉजी के अभाव में कई लावारिश शवों को इंसाफ नहीं मिल पाता है, क्योंकि उनका अंतिम संस्कार परिजनों की जगह पुलिसकर्मी करते हैं। जबकि नए जमाने की टेक्नोलॉजी के अंतर्गत बायोमीट्रिक पर मृतक का फिंगर प्रिंट लेकर चंद सेकेंड में मृतक का पता लगाया जा सकता है। वर्तमान में अपवाद लोगों को छोड़कर ज्यादातर लोगों के पास आधार कार्ड है, जिस वजह से नया सिस्टम और डाटा लाने पर खर्च करने की जरुरत नहीं है।
देशभर में है यह समस्या
देश भर में लावारिश शवों की शिनाख्त आसान नहीं है, उनकी पहचान के लिए पुलिसवालों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। घटनास्थल के आस-पास वाले क्षेत्र के थानों में सूचित किया जाता है और वहां आई गुमशुदा की शिकायतों के आधार लावारिस शव से मिलान किया जाता है। इसके बाद भी सभी की पहचान नहीं हो पाती है। मेट्रो शहर में हर दिन 10-20 लावारिस शव मिलते हैं। कपड़े, फोटो और सामग्री से जब परिजनों को पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है, क्योंकि 3-4 दिन बाद शव का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है।
मेडिकल में प्रतिदिन आते हैं लावारिस शव
अनुमानित आंकड़े शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेडिकल) में प्रतिदिन करीब 10 से 15 शवों का विच्छेदन किया जाता है। लावारिस शव मिलने पर उनका विच्छेदन किया जाता है। अनुमानित आंकड़ों के अनुसार, प्रतिदिन 0 से 2 तक लावारिस शव मेडिकल पहुंचते हैं। इससे प्रतिवर्ष यह आंकड़ा 200 से 600 पर पहुंचता है।
- शव विच्छेदन में हड्डी से डीएनए जांच के लिए बोन मेरो लेते हैं।
- उसकी फोटो और कपड़े और साथ में मिले सामान को रखते हैं।
- ऊंचाई, उम्र, जन्मजात निशान, ऑपरेशन का निशान और देखने में कैसा लिखा जाता है।
- स्याही से फ्रिंगर प्रिंट लिया जाता है, जिससे आगे उसकी जांच कर सके।
Created On :   3 Jun 2019 1:24 PM IST