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नागपुर : हौसलों की उड़ान, जिद से एकता ने पाया मुकाम

डिजिटल डेस्क,नागपुर। सपनों को पूरा करने की जिद हो और खुद पर विश्वास हो तो हौसलों को नई उड़ान मिल जाती है। कुछ ऐसा ही हुआ है नागपुर की एकता भैया के साथ। अपने सांवले रंग को लेकर हमेशा लोगों की उपेक्षा का शिकार रही एकता अपनी राह पर अडिग रहीं। इसी का नतीजा है कि वो "मिसेज इंडिया 2016" की सेकेंड रनरअप बनीं।
गौरतलब है कि सांवले रंग के लोगों को आलोचना का सामना करना पड़ता है। एकता भैया को भी अपने सांवले रंग के कारण कई ताने सुनने पड़े। इन्हीं से परेशान होकर एकता का आत्मविश्वास डगमगा गया,लेकिन अपने पति के प्रोत्साहन के दम पर "मिसेज इंडिया 2016" की सेकेंड रनरअप बनीं। एकता बताती हैं कि उनकी शादी 2001 में हुई। उन्होंने एक स्थानीय ब्यूटी पेजेंट में हिस्सा लिया। उन्हें टॉप 10 में भी नहीं चुना गया। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। इसके बाद पति के प्रोत्साहन के बाद "मिसेज माहेश्वरी 2015" जीता। मेरे पति और बेटे के सपोर्ट के बिना यहां तक पहुंचना मुश्किल था। उन्होंने कुछ तस्वीरें खिंचवाई थीं। तस्वीरों को उनकी एक दोस्त ने मिसेज इंडिया कॉन्टेस्ट में भेज दिया। उन्होंने इस बारे में किसी को कुछ बताया भी नहीं। तभी एक दिन कॉल आया कि उस प्रतियोगिता के लिए एकता का सेलेक्शन हो गया है। तब इस बात की सबको जानकारी हुई। एकता "मिसेज इंडिया 2016" में सेकेंड रनरअप बनीं। इसके बाद उन्होंने ब्यूटी इंडस्ट्री का रुख किया।
गोरा होना खूबसूरती का पैमाना नहीं
एकता कहती हैं कि समाज में गोरे और सांवले रंग के बीच के दोहरे व्यवहार का मेरे दिमाग में भी असर पड़ता था। कई बार आईने में अपना चेहरा देखकर उदास भी हो जाती थी। इसका असर मेरे आत्मविश्वास पर भी पड़ा। मैं गोरे रंग को ही खूबसूरती का पैमाना बना बैठी थी। एकता बताती हैं कि उस वक्त खुद को बहुत अपमानित महसूस करती थी। गोरे रंग को खूबसूरती का पैमाना मानने वाले आज भी सांवले रंग को नीचा बताने में पीछे नहीं रहते। इसका परिणाम कई सांवली लड़कियां अपना पूरा आत्मविश्वास खो देती हैं, अपने अंदर के तमाम गुणों को भूलकर सांवलेपन के अफसोस और शर्म में जीने लगती हैं और लग जाती है खुद को गोरे बनाने की जुगत में। किसी के जैसा बनने की कोशिश ही अंदर छुपे यूनिक पर्सन को बाहर नहीं आने देती।
आप किसी से कम नहीं, यही सोचकर आगे बढ़ें
एकता ने बताया कि उनके पास सीखने आई लड़कियों पर इसका असर जबरदस्त होता है। अगर आप व्यक्तित्व को संवारने और निखारने पर ध्यान दें तो आप किसी किसी से कम नहीं हैं। उनका कहना है कि उनके संस्थान में आने वाली लड़कियों के लिए सुंदरता का मतलब बाहरी तौर पर बनना और संवरना है। आजकल पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा संख्या में कई ग्रूमिंग स्कूल मुझे क्लास लेने के लिए बुलाते हैं। हम पहले उनकी सोच को बदलने का काम करते हैं। ट्रेनिंग खत्म होने तक हम उन्हें इस योग्य बना देते हैं कि वो बाहरी दुनिया का आत्मविश्वास के साथ मुकाबला कर सकें। हमारे स्टूडेंट किसी भी महफि़ल में खुद को बेहतरीन तरीके से पेश कर सकते हैं।
Created On :   28 Aug 2017 3:40 PM IST