अवैध निर्माण का लाइसेंस नहीं है निर्माण को नियमित करने का नियम

Illegal construction license is not the rule to regularize construction: High Court
अवैध निर्माण का लाइसेंस नहीं है निर्माण को नियमित करने का नियम
राणे की याचिका पर कोर्ट हाईकोर्ट की टिप्पणी अवैध निर्माण का लाइसेंस नहीं है निर्माण को नियमित करने का नियम

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने केंद्रीय मंत्री नारायण राणे से जुड़ी कंपनी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मुंबई महानगरपालिका को कहा है कि अदालत के अगले आदेश तक केंद्रीय मंत्री राणे के जुहू स्थित बंगले के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई न करे। हालांकि इस दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अवैध निर्माण को नियमित करने से जुड़ा कानून किसी व्यक्ति को अवैध निर्माण का लाइसेंस नहीं देता है। यह याचिका कालका रियल स्टेट कंपनी ने दायर की है। राणे कोर्ट में याचिका दायर करनेवाली कंपनी के हिस्सेदार हैं और वे अपने परिवार के साथ जुहू स्थित इसी अधीश बंगले में रहते हैं।

सोमवार को यह याचिका न्यायमूर्ति आरडी धानुका व न्यायमूर्ति कमल खाता की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। सुनवाई के बाद खंडपीठ ने मुंबई मनपा को इस मामले में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और अगले आदेश तक याचिकाकर्ता के बंगले के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई न करने को कहा और याचिका पर सुनवाई 23 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी। 

याचिका में बताया गया है कि राणे ने घर में किए गए बदलाव के सीमित हिस्से को नियमित करने की मांग को लेकर दोबारा मनपा के पास आवेदन किया गया है। इससे पहले मनपा राणे  के एक आवेदन को खारिज कर चुकी है। तब राणे ने कोर्ट में कहा था कि मनपा ने राजनीतिक प्रतिशोध के तहत उनके बंगले खिलाफ कार्रवाई की है। इस पर कोर्ट ने कहा था कि बंगले में किया गया बदलाव अनधिकृत है। ऐसे में राजनीतिक प्रतिशोध का सवाल ही नहीं पैदा होता। अब राणे ने मुंबई मनपा के पास घर में किए गए सीमित बदलाव को नियमित करने की मांग को लेकर दूसरा आवेदन दायर किया है और हाईकोर्ट से मनपा को इस आवेदन पर विचार करने का निर्देश देने की मांग की है।

इस दौरान राणे की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता शार्दुल सिंह ने कहा कि मेरे मुवक्किल अपने घर में किए गए बदलाव को नियमित करने की मांग कर रहे हैं, इससे सार्वजनिक जगह बिल्कुल भी प्रभावित नहीं होगी। इससे कोई व्यावसायिक हित भी नहीं जुड़ा है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि नियमितिकरण से जुड़ा कानून किसी को अवैध निर्माण का लाइसेंस नहीं देता है। इस दौरान मनपा की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे ने कहा कि हम याचिकाकर्ता के आवेदन का नियमों के तहत परीक्षण करेंगे। इस पर खंडपीठ ने मनपा को जवाब देने को कहा और याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। 

 

Created On :   25 July 2022 8:56 PM IST

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