बीमारी, आपदा और सभी कार्य सिध्दि होते हैं ऋध्दि विधान से - सुवीरसागर

Illness, disaster and all the functions are achieved by the Riddhi Vidhan Suvirsagar
बीमारी, आपदा और सभी कार्य सिध्दि होते हैं ऋध्दि विधान से - सुवीरसागर
बीमारी, आपदा और सभी कार्य सिध्दि होते हैं ऋध्दि विधान से - सुवीरसागर

डिजिटल डेस्क, नागपुर ।  जीवन योग भी है और भोग भी है। यह उद्गार   तपस्वी सम्राट आचार्य सन्मतिसागर के शिष्य आचार्य सुवीरसागरजी ने अपने प्रवचन में सूरज पेंढारी के यहां श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन गृहचैत्यालय महल में व्यक्त किए। दोपहर में आचार्य सुवीरसागरजी ससंघ के सान्निध्य में 64 ऋध्दि विधान संपन्न कराया जिस विधान करने से बीमारी, आपदा और सभी कार्य सिध्दि होते हैं। इस विधान के सौधर्म इंद्र सूरज पेेंढारी एवं इंद्राणी प्रीति पेंढारी जैन थे। सौधर्म इन्द्र सुरज पेंढारी जैन, इंद्राणी प्रीति जैन, एवं अन्य इंद्र इंद्राणी संतोष पंेढारी, स्मिता पेंढारी, सतीष पेंढारी, संगीता पेंढारी, सुनील पेंढारी, नीता पेंढारी, ऋषभ पेंढारी, गोपाल पेंढारी,  प्रचार प्रसार प्रमुख हीराचंद मिश्रीकोटकर उपस्थित थे।  

गुरुमति आर्यिका का पिच्छी परिवर्तन
श्री दिगंबर जैन परवार मंदिर ट्रस्ट के अंतर्गत श्री दिगंबर जैन शांतिनाथ अतिशय क्षेत्र रामटेक में आचार्य विद्यासागर महामुनिराज जी की प्रथम आर्यिका गुरुमति आर्यिका माताजी एवं 22 पिच्छीधारी आर्यिका माताजी का ससंघ रामटेक में विराजमान है। पिच्छी परिवर्तन का कार्यक्रम स्थान ज्ञानोदय विद्यापीठ प्रतिभास्थली रामटेक के प्रांगण में हुआ।   ट्रस्ट के दिनेश जैन, शीतल, विशाल, विनय जैन, शैलेंद्र जैन, सुमत लल्ला जैन आदि उपस्थित थे। संचालन अजय अहिंसा ने किया। भोजन व्यवस्था प्रतिभास्थली समिति की ओर से मनीष जैन, महेंद्र जैन, धर्मेंद्र जैन आदि ने की। बस पुण्यार्जक जयकुमार हम लोग परिवार, संतोष जैन ठेकेदार, देवेंद्र कुमार टड़ैया, यातायात व्यवस्था समिति विजय गब्बर, पप्पू जय-जय थे। श्री दि. जैन महावीर पाठशाला, ज्ञानोदय  सेवा संघ मित्र परिवार,परवारपुरा महिला मंडल, प्यारे ग्रुप आदि ने सहयोग किया।  बा.ब्र. अनुपम भैया, संजय भैया, बिंदु भैया, संतोष बैसाखिया, अनिल जैन, दिलीप  जैन, जय मामू, गोलू लड्डू, राजकुमार जैन उपस्थित थे।

धम्मजीवन ही सुखदायक है : भंते सुमंगल
शांतिपूर्वक जीवन जीने के लिए शील का आचरण करना चाहिए। शीलाचरण ही धम्म आचरण है और धम्मजीवन ही सुखदायक है। शील पालन शीतलता देता है। शील पालन करने से कभी पश्चाताप नहीं करना पड़ता। शील पालन करने वाला मैत्री की भावना रखता है। यह बात भंते सुमंगल अकोला ने कही। सम्यक बहुउद्देशीय संस्था की ओर से रमाई बुद्ध विहार, श्रमिकनगर, परसोड़ी में डी. धम्मानंद के 10वें वर्षावास का समापन कार्यक्रम हुआ। भीमदास नाईक ने भीम गीतों की प्रस्तुति दी। भिख्खू संघ का परित्राण पाठ हुआ। भंते ने धम्मदेशना देते हुए उपासकों का मार्गदर्शन किया। इस अवसर पर भंते बुद्ध पाल, भंते सुबोध, भंते तीस्सबोधि, श्रमण सुशीम उपस्थित थे। भोजनदान का आयोजन किया गया।

Created On :   15 Nov 2019 12:14 PM IST

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