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मेयो में पुरानी एजेंसी से खरीदे जा रहे इम्प्लांट, 7 माह बाद भी नहीं खुला कोटेशन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेयो) में सात माह पहले सर्जिकल आइटम के िलए कोटेशन निकाला गया। कोटेशन में बड़ी संख्या में मेडिकल स्टोर व सप्लायर ने हिस्सा लिया। विशेष बात यह है कि कोटेशन मंगवाने के करीब 7 माह बीतने के बाद भी पुरानी एजेंसी से ही सामान खरीदा जा रहा है। वहीं कोटेशन में शामिल होने वाली एजेंसियों ने पुरानी कीमतों को नई कोटेशन की कीमत से करीब-करीब दोगुना होने का दावा किया। मेयो में हड्डी रोग विभाग में विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों के अलावा अन्य मरीजों का भी ऑपरेशन किया जाता है। यहां अप्रैल-2019 में मरीजों को आर्थो इम्प्लांट लगाने के लिए कोटेशन निकाला गया था, जिसमें बड़ी संख्या में आर्थोपेडिक इम्प्लांट सप्लायर ने भाग लिया, लेकिन करीब 7 माह बीतने के बाद भी कोटेशन में सबसे कम कीमत में सामान उपलब्ध करवाने वालों की सूची जारी नहीं की गई है। पुराने सप्लायर से आर्थो इम्प्लांट की खरीदी की जा रही है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि हर माह करीब 5 से 7 लाख रुपए के आर्थो इम्प्लांट की खरीदी मेयो अस्पताल करता है।
यह है आरोप
अप्रैल-2019 में कोटेशन में शामिल हुए सप्लायरों का आरोप है कि, पुरानी एजेंसी अधिक कीमत पर इम्प्लांट सप्लाई कर रही है, जिससे अस्पताल प्रबंधन के साथ ही मरीजों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इतना ही नहीं यह कीमत दोगुना तक हो सकती है। साथ ही इस मामले में संबंधित विभाग के डॉक्टरों की साठ-गांठ का आरोप है।
इनका कहना है
ऐसा नहीं है। इतना जरूर है कि, कोटेशन को लेकर देरी हुई है। पिछले दिनों ऑपरेशन थियेटर बंद होने के साथ ही अन्य कारण भी हैं। खरीदी के मामले को मान्यता दे दी गई है। जल्द ही नए कोटेशन के आधार पर खरीदी आरंभ हो जाएगी। -डॉ. अजय केवलिया, अधिष्ठाता मेयो
500 पलंग के मेडिसिन विंग के प्रस्ताव की तैयारी
इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेयो) में 500 पलंग वाले मेडिसिन विंग की सुगबुगाहट तेज हो गई है। नई िबल्डिंग बनने से कई समस्याएं खत्म होंगी और मरीजों के लिए आसानी भी हो जाएगी। वर्तमान कैजुअल्टी के लिए कम जगह होने उसे इस बिल्डिंग में शिफ्ट करने पर विचार किया जा रहा है। साथ ही एक छत के नीचे उपचार की तैयारी की जा रही है। मेयो अस्पताल में सभी बिल्डिंग अलग-अलग होने से मरीजों को उपचार के िलए एक बिल्डिंग से दूसरी बिल्डिंग तक जाना पड़ता है। बारिश से लेकर धूप और अन्य समय में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। मेडिसिन विंग को सर्जिकल कॉम्प्लेक्स के परस्पर बनाया जाएगा। इतना ही नहीं, इस बिल्डिंग में कैजुअल्टी बनाने पर भी विचार चल रहा है, क्योंकि वर्तमान कैजुअल्टी में जगह कम होने के कारण वह छोटी पड़ती है। सर्जिकल कॉम्प्लेक्स में एमआरआई की जांच की सुविधा है। नई बिल्डिंग में एक और सीटी स्कैन मशीन लगाने के प्रस्ताव पर विचार चल रहा है।
यह भी होगा
मेडिसिन बिल्डिंग में सभी गहन देखभाल इकाई (आईसीयू) होंगे। स्त्री एवं प्रसूति विभाग के वार्ड, लेबर रूम, बाल रोग विभाग के वार्ड के अलावा भी अन्य कई विभागों के वॉर्ड इस बिल्डिंग में रहने वाले हैं।
Created On :   28 Nov 2019 1:33 PM IST