दो साल में दोगुनी हुई इम्पोर्ट ड्यूटी, निर्यातक सीएनएफ को नही मिल रही एलसी

Import duty doubled in two years, exporter CNF is not getting LC
दो साल में दोगुनी हुई इम्पोर्ट ड्यूटी, निर्यातक सीएनएफ को नही मिल रही एलसी
बांग्लादेश ने संतरों पर बढ़ाई इम्पोर्ट ड्यूटी दो साल में दोगुनी हुई इम्पोर्ट ड्यूटी, निर्यातक सीएनएफ को नही मिल रही एलसी

डिजिटल डेस्क,छिंदवाड़ा। संतरा उत्पादक किसानों और निर्यातकों के लिए यह चौंका देने वाली है। भारत के 30 प्रतिशत से अधिक संतरों का आयात करने वाले बांग्लादेश ने एक बार फिर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाई है मंगलवार की रात पश्चिम बंगाल के तीनों बॉर्डरों पर खड़े संतरों के ट्रकों से लगभग 61 रूपए किलो के हिसाब से इम्पोर्ट ड्यूटी वसूल की गई। जबकि दो महीने पहले ही इम्पोर्ट ड्यूटी 34 रूपए किलो से बढ़ाकर 55 रूपए किलो की गई थी। 24 महीने पहले यह ड्यूटी 29 रूपए किलो थी। इस तरह दो सालों में संतरों पर इम्पोर्ट ड्यूटी दोगुना से अधिक हो गई है।

दूसरी ओर मंगलवार को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने संसद में अपने देशवासियों से अपील की है कि वें अपने देश में ही उत्पादित फलों पर निर्भरता बढ़ाए। भारत के सेब, अंगूर, संतरा आदि फलों के आयात पर डॉलर की कमी हो रही है। जिससे देश की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है। भारत से जाने वाले फलों को रोकने के लिए लगातार इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाई जा रही है। जबकि विगत एक साल से भारत के इंडो-बांग्ला ऑरेंज एसोशिएसन के माध्यम से लगातार इम्पोर्ट ड्यूटी कम करने की मांग की जा रही है। पिछले दिनों इस एसोसिएशन  के पदाधिकारियों ने प्रधानमंत्री से भी इस आशय की अपील की थी। परंतु हर महीने संतरों के निर्यात में नई-नई अड़चनें बढ़ते जा रही है।

सीएनएफ को नही मिल रही एलसी

दूसरी ओर संतरें के निर्यात में आर्थिक लेनदेन की व्यवस्था भी अवरूद्ध होते जा रही है। संतरों के निर्यात पर एलसी साखपत्र, जो आयातक की ओर से आयातक के बैंक द्वारा जारी किया जाता है, जिसके माध्यम से निर्यातक को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था के तहत भुगतान सुनिश्चित किया जाता है पहले एक ट्रक के भुगतान की राशि एलसी के माध्यम से 10-15 हजार के खर्च पर मिल जाती थी। परंतु अब एक ट्रक की एलसी के लिए ऊपरी तौर पर पौने दो लाख रूपए खर्च करने पड़ रहे है। इसके अलावा कुछ ही सीएनएफ के पास एलसी की व्यवस्था उपलब्ध है। एलसी नही होने के कारण कई ट्रक बांग्लादेश की बॉर्डर से भारत के अन्य देशावरों की ओर लौट रहे है।

1900 रूपए हुआ प्रति केरेट खर्च

अब संतरों का बांग्लादेश निर्यात करना बहुत महंगा सौदा साबित हो रहा है। संतरें की मूल लागत को छोड़कर संतरों की पैकिंग, बॉर्डर का किराया, एलसी खर्च, सीएनएफ खर्च, इम्पोर्ट ड्यूटी, बांग्लादेश के देशावर तक का परिवहन खर्च और मंडी की आड़तदारी कमीशन का कुल खर्च लगभग 1900 रूपए प्रति केरेट तक आ रहा है। यदि कोई केरेट 2500 रूपए में बिकता है, तो व्यापारी या किसानों के हाथ 600 रूपए लग रहे है। कई बार संतरा खराब होने या मार्केट में माल आने पर 1500 रूपए से लेकर दो हजार रूपए के बीच ऑक्शन होता है। इस स्थिति में व्यापारियों का पूरा पैसा डूब जाता है।

यूं रोजाना 30 से 40 हजार केरेट संतरा होता है निर्यात

भारत में फलों और सब्जियों के व्यापार में बांग्लादेश के मार्केट का बड़ा महत्व है। संतरों से लेकर मिर्ची, टमाटर, सेब, अनार, आम सहित कई फलों और सब्जियों का बड़ी मात्रा में निर्यात होता है। बीते एक महीने से विदर्भ के अलावा महाकौशल के छिंदवाड़ा जिले और राजस्थान बॉर्डर की भवानी मंडी से लगभग 30 से 40 ट्रक संतरों का निर्यात रोजाना बांग्लादेश हो रहा है। एक ट्रक में औसतन एक हजार केरेट जाते है। मंगलवार से यह निर्यात आधे से कम हो गया है। तीन-चार दिनों में इनकी संख्या 10 से 15 हजार केरेट के बीच होने की आशंका है। अब इन संतरों का दबाव भारत के बाजारों पर पड़ेगा। जिससे संतरों में मंदी आने की आशंका है।

इनका कहना

-इम्पोर्ट ड्यूटी लगातार बढ़ने के कारण अब बांग्लादेश का निर्यात मुश्किल होता जा रहा है। हम लगातार उचित माध्यम से किसानों व व्यापारियों की बात पहुंचा रहे है, परंतु अब तक कोई राहत नही मिली है। ऐसे में किसानों और स्थानीय व्यापारियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा।
-सोनू खान
इंडो-बांग्ला ऑरेंज एसोशिएसन।
 

Created On :   9 Nov 2022 5:20 PM IST

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