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रीसाइक्लिंग प्लांट के अभाव में जिले के 76 हजार उद्योगों पर गहराया संकट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले में कुल 6116 कारखाने हैं। वहीं संभाग में विविध प्रकार के छोटे-बड़े उत्पादन यूनिट व खाद्यान्न से जुड़े 76210 उद्योग चल रहे हैं। इनमें से अधिकांश उद्योगों का किसी न किसी तरह से प्लास्टिक से संबंध आ ही जाता है। अब जब 23 जून शनिवार से संपूर्ण महाराष्ट्र में सभी तरह के प्लास्टिक पर पाबंदी को अमल में लाया जा रहा है, तो इन उद्योगों पर भी इसका विपरीत असर होने की आशंका है। जिला प्रशासन व संबंधित विभागों के अाला अधिकारियों को प्लास्टिक बैन को लेकर सख्त हिदायतें मिल चुकी हैं।
शनिवार से कार्रवाई के दौर की शुरुआत होगी। इसमें प्लास्टिक के निर्माता, उपयोगकर्ता, विक्रेता, परिवहनकर्ता, भंडारणकर्ता सभी के खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई का प्रावधान है, जबकि 23 मार्च से 23 जून तक मिली स्थगिती के दौरान प्लास्टिक के रीसाइक्लिंग प्लांट के निर्माण व वैकल्पिक साधनों के प्रति किसी ने गंभीरता से कदम नहीं बढ़ाया। इसके चलते सरकार की यह प्लास्टिक बंदी का परिणाम, 50 मायक्रॉन से कम वाली पॉलिथीन बंदी जैसे ही कागजों पर रेंगती न रह जाए, यह अंदेशा जताया जा रहा है।
इस्तेमाल करने पर भुगतनी होगी सजा
राज्य सरकार ने बीते मार्च को प्लास्टिक व थर्माकोल उत्पाद से जुड़े निर्माण, उपयोग, बिक्री, परिवहन व भंडारण पर प्रतिबंध लगाने के लिए अधिसूचना जारी की थी। पश्चात 3 माह की स्थगिति दी गई। अब अवधि समाप्त हो चुकी है। जहां पर्यावरण से जुड़े नागरिकों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है, वहीं सरकार द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था पर स्पष्ट कदम नहीं उठाने पर इस निर्णय पर सवाल उठाए हैं। प्लास्टिक बंदी के फैसले के पूर्व से ही 50 मायक्रॉन से कम के पॉलिथीन पर पाबंदी है, परंतु बीते वर्ष में इस पाबंदी का कोई सकारात्मक असर दिखाई नहीं दिया। फिलहाल इस प्लास्टिक बंदी के नियमों का उल्लंघन करते हुए पाए जाने पर 5 से 20 हजार रुपए का जुर्माना वसूल किया जाएगा। नागरिकों को भी इसमें छूट नहीं दी गई है।
कन्फ्यूजन अब भी
सरकार ने सभी तरह से प्लास्टिक पर बैन लगाते हुए इसकी घोषणा तो कर दी, लेकिन दूसरी ओर अत्यावश्यक संसाधनों में छूट भी दी गई है। कुछ चुनिंदा उत्पादों को इसमें छूट मिलने के बावजूद प्लास्टिक निर्माताओं व विक्रेताओं में आज भी संभ्रम की स्थिति बनी हुई है। मेडिकल के संसाधनों के अलावा पौधारोपण, घन कचरा व्यवस्थापन में छूट मिली है, लेकिन सबसे अधिक विवादास्पद मुद्दा ब्रांडेड उत्पादों को प्लास्टिक बैन के दायरे से बाहर रखा गया है। इसके चलते छोटे उत्पादकों व निर्माताओं में सरकार के इस फैसले को लेकर कंफ्यूजन है।
Created On :   23 Jun 2018 2:04 PM IST