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नियम से परे हैं हास्पिटल, 393 को फिर से दिया प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। संतरानगरी के 393 अस्पतालों को एक बार फिर प्राेविजनल रजिस्ट्रेशन दे दिया गया है। सवाल यह है कि इन अस्पतालों में आग लगने की स्थिति बनती है, तो उससे कैसे बचा जाएगा। बता दें कि इन अस्पतालों के पास अग्निशमन विभाग का अनापत्ति प्रमाण-पत्र व बिल्डिंग सेक्शन प्लान न होने के कारण से तत्कालीन मनपा आयुक्त अश्विन मुद्गल ने प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन देने से रोक दिया था। बुधवार को शहर के बीचों-बीच कस्तूरचंद पार्क के सामने निर्माणाधीन अस्पताल में आग लगने से एक बार फिर इस पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि अग्निशमन विभाग का अनापत्ति प्रमाण-पत्र और बिल्डिंग सेक्शन प्लान न होना कितना घातक हो सकता है।
लगातार हो रहा था पत्र-व्यवहार
मनपा के पास 627 निजी अस्पताल पंजीकृत हैं, इसमें से कई अस्पतालों को वर्ष 2012 से प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन दिया जा रहा है। यह रजिस्ट्रेशन सिर्फ एक वर्ष के लिए होता है, जबकि स्थायी पंजीयन 3 साल के लिए दिया जाता है। 31 मार्च 2018 को तत्कालीन आयुक्त अश्विन मुद्गल ने प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद 6 माह तक शहर के 393 अस्पताल बिना पंजीयन के चले। इसी बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने मुख्यमंत्री सहित नगर रचना विभाग से पत्र-व्यवहार किया। तभी तत्कालीन प्रभारी आयुक्त रविन्द्र ठाकरे ने इन 393 निजी अस्पतालों को प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन के लिए मंजूरी दे दी, हालांकि किसी ने भी अग्निशमन विभाग का अनापत्ति प्रमाण-पत्र व नगर रचना विभाग का बिल्डिंग सेक्शन प्लान नहीं दिया।
यह है दुविधा
393 अस्पताल सालों पुराने हैं, उस समय नियमों का पालन कड़ाई से नहीं किया जाता था। वहीं बांबे नर्सिंग होम एक्ट में इन सारे नियमों का उल्लेख नहीं है। इन सबके ऊपर सबसे बड़ी समस्या यह है कि जहां अस्पताल बने हुए हैं, वहां इतनी जगह नहीं है कि नियमों का पालन किया जा सके। इसके अतिरिक्त कई सारे अस्पताल अपार्टमेंट में बने हुए हैं। नियमानुसार अपार्टमेंट के पूरे फ्लैट को अनुमति लेना होगा, लेकिन कुछ फ्लैट के अनुमति न लेने के कारण पंजीयन का नवीनीकरण नहीं किया गया।
Created On :   10 Jan 2019 4:23 PM IST