फिर सामने आया 95 करोड़ का घोटाला, अधिकारियों की मिलीभगत से देना बैंक को लगाया चूना

In Nagpur a huge new scam of rupees 95 crore came under light
फिर सामने आया 95 करोड़ का घोटाला, अधिकारियों की मिलीभगत से देना बैंक को लगाया चूना
फिर सामने आया 95 करोड़ का घोटाला, अधिकारियों की मिलीभगत से देना बैंक को लगाया चूना

डिजिटल डेस्क,नागपुर। शहर में फिर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। बीस नामी कंपनियों ने मिलकर एक बड़ा घोटाला किया है। देना बैंक में अधिकारियों की मिलीभगत से 95 करोड़ रुपए का चूना लगाया गया है। पुलिस ने संबंधित दो मामलों का खुलासा करते हुए तत्कालीन बैंक प्रबंधक, चार्टर्ड अकाउंटेंट, प्रापर्टी डीलर समेत 18 आरोपियों के खिलाफ बर्डी थाने में प्रकरण दर्ज कराया है। इसमें से एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। 

ऐसे की अनियमितता  
घटना का सूत्रधार आरोपी सतीश बाबाराव वाघ (मोहन नगर निवासी) और उसके साथी प्रभाकर दौलतराव अमदरे कुचडी (जिला नागपुर), अशोक भाऊराव शिंदेकर (सावेनर), ललित रामचंद्र देशमुख (सावनेर), भारत बाबूराव राजे (दत्तवाड़ी), जयंत नानाजी देशमुख (वानाडोंगरी), जगदीश झनकलाल चौधरी (सदर), स्वप्निल भीमराव (कौराती, एलआईजी म्हाडा कालोनी), गणेश बाबूराव राजे (दत्तवाड़ी), भोजराज दिनबाजी उकीनकर मोहगांव निवासी है। इन लोगों ने मौजा दवलामेटी में खसरा नंबर 27 में प्लॉट खरीदे थे।

29 अक्टूबर 2015 को आरोपी सतीश ने सिविल लाइंस स्थित देना बैंक में करोड़ों रुपए के कर्ज के लिए आवेदन किया था। उस समय प्लॉट की कीमत कम होने के बावजूद 1 करोड़ 59 लाख 18 हजार 207 रुपए ज्यादा बताई गई थी। इसके लिए चार्टर्ड अकाउटेंट समेत अन्य लोगों से फर्जी दस्तावेज भी बैंक में जमा किए गए थे। इस फर्जीवाड़े में तत्कालीन बैंक प्रबंधक शिरीष ढोलके की मिलीभगत भी मानी जा रही है, क्योंकि उन्होंने दस्तावेजों की बगैर जांच-पड़ताल किए ही 2 करोड़ 4 लाख रुपए का डीडी सतीश के खाते में जमा कर दिया था।

बिना प्रापर्टी की जांच किए दे दिया लोन
घटना के सूत्रधार समीर भास्कर चट्टे महल निवासी है। मार्च 2016 में प्लास्टिक की टेबल, कुर्सी और प्लास्टिक का अन्य कारोबार होने के फर्जी दस्तावेज बैंक में जमा कर समीर समेत अन्य आरोपियों ने धरमपेठ स्थित देना बैंक से ही दो करोड़ रुपए की कैश क्रेडिट प्राप्त की थी। फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट एस.एम.कोठावाला ने दो वर्ष का फर्जी बिजनेस प्लान भी तैयार कर दिया था। इसमें साढ़े छह करोड़ और दस करोड़ रुपए का संभावित व्यापार होने का दर्शाया गया था।

हालांकि समीर की अरेना इंडस्ट्रीज में कोई भागीदारी नहीं है, बावजूद  इसके उसने भागीदारी के फर्जी दस्तावेज तैयार किए। इसके बाद अपने ही मामा दिलीप कलेले और अन्य रिश्तेदारों मेहुल रजनीकांत धुवावीया, गारंटर अनिता नागभीडकर, उसके पति अरुण नागभीडकर धरमपेठ निवासी की मदद से फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है। इसके लिए मां अनुसया ट्रेडिंग कंपनी, मे. आदिनाथ इंडस्ट्रिज एंड ट्रेडिंग कंपनी, मां तुलजा भवानी ट्रेडिंग कार्पेारेशन कंपनी के भी फर्जी दस्तावेज बैंक में जमा किए गए थे। जब वर्तमान बैंक प्रबंधक मोहम्मद शफी हैदर ने मौके का मुआयना किया तो उन्हें कारखाना हिवरी नगर में स्थानांतरित होने का झांसा दिया। बैंक अधिकारी हिवरी नगर में बताए गए पते पर गए तो वह संपत्ति किसी और व्यक्ति की निकली है। उस संपत्ति से आरोपियों का कोई लेना-देना ही नहीं था।

प्रकरण में लिप्त सभी आरोपी रिश्तेदार होने से सतीश ने बाद में अन्य आरोपियों के खातों में करीब 41 लाख 15 हजार रुपए ट्रांसफर कर दिए थे। इस बीच आरोपियों ने कुछ महीने तक बैंक में कर्ज की किस्त जमा की, बाद में बंद कर दिया। वर्तमान बैंक प्रबंधक निर्मलचंद्र पाटील को इसमें धांधली नजर आई। उन्होंने प्रकरण की पड़ताल की। संबंधित क्षेत्र का दौरा भी किया तो उन्हें एक भी मकान का निर्माण कार्य नहीं दिखा। इस तरह से आरोपियों ने कुल 3 करोड़ 46 लाख 55 हजार 378 रुपए से बैंक को चूना लगाया है।

बैंक प्रबंधक को दिए 14 लाख  
करोड़ों रुपए के फर्जीवाड़े को अंजाम देने के बदले में तत्कालीन बैंक प्रबंधक शिरीष ढोलके को करीब 14 लाख रुपए मिले हैं। यह रकम सतीश वाघ ने ही उसके खाते में जमा की थी। इसमें से 50 हजार रुपए शिरीष की पत्नी के खाते में जमा की गई थी, जबकि बाकी रकम शिरीष के खाते में ही जमा किए गए हैं। पुलिस को इस संबंध में बैंक के दस्तावेज भी मिले हैं।

इन कंपनियों ने भी लगाया चूना 
विनय स्टील, मोनार्च, प्रदीप उद्योग, शिवदयाल आदि 19 कंपनियों ने भी देना बैंक को चूना लगाया है। बैंक प्रबंधन ने अपने स्तर पर इसकी पड़ताल की। इसके बाद मामले पुलिस को सौंप दिए गए। सोमवार की गिट्टीखदान स्थित अपराध शाखा में हुई पत्रपरिषद में उपायुक्त संभाजी कदम ने बताया है कि आने वाले समय में पुलिस इन कंपनियों पर भी शिकंजा कसने वाली है। इससे नामी उद्यमी तो बेनकाब होंगे ही, साथ ही बड़ी संख्या में बैंक अधिकारी भी लपेटे में आ सकते हैं।

Created On :   19 Jun 2018 5:44 AM GMT

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