भावनाओं को कला से किया प्रदर्शित, ALIVE 13 प्रदर्शनी में युवाओं की अद्भुत कला के दर्शन

In Nagpur, great presentation of art in Alive 13 exhibition
भावनाओं को कला से किया प्रदर्शित, ALIVE 13 प्रदर्शनी में युवाओं की अद्भुत कला के दर्शन
भावनाओं को कला से किया प्रदर्शित, ALIVE 13 प्रदर्शनी में युवाओं की अद्भुत कला के दर्शन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कला के अद्भुत दर्शन हुए अलाइव 13 प्रदर्शनी में। हाथ की संयमता, स्पष्टता और प्रयोगात्मकता प्रदर्शनी में साफ झलकती दिखी। इसमें प्रशिक्षुओं ने एक से बढ़कर एक प्रयोग किए हैं, यह लकड़ी, स्क्ल्पचर, इलेक्ट्रानक्सि, पेपर, गुडस में दिखाई देते हैं। कला के क्षेत्र में इन्हें दुर्लभ कहा जा सकता है। इनकी कला अप्रतिम है, अनेक कला दिखाने हो या फिर गुजरते समय को दिखाना हो, उस छोटी सी जगह का प्रयोग वे उत्तम रूप से करती हैं अलग एंगल में। कला वस्तु नहीं, एक तरीका है। कला का अर्थ है सृजन करना इसके द्वारा ही  स्वरूप झलकता है अलाइव 13 में कला में मानव मन में संवेदनाएं उभारने, प्रवृत्तियों को ढालने, चिंतन को मोड़ने एवं अभिरुचि को दिशा देने की अद्भुत क्षमता है।

35 बच्चों ने लिया हिस्सा
कला अपनी अंदरूनी भावनाओं को प्रदर्शित करने का एक जरिया है। ऐसे ही स्वरूप 13 वर्ष से लेकर 17 वर्ष के बच्चों ने प्रदर्शनी में दिखाए हैं। करीब प्रदर्शनी में 35 बच्चों ने हिस्सा लिया है। किसी ने फैशन मे प्रयोग बताएं हैं तो किसी पंजाबी हरियाणवी ट्रक बनाया है, जो स्वच्छ भारत का संदेश देता है। वहीं कनेक्टविटी और कम्युनिकेशन का ध्यान भी खूब रखा गया है। इस प्रदर्शनी में 21 स्क्ल्पचर हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो छूने पर रिएक्ट करते हैं। वहीं पेपरमेश से एलियन बनाया गया है जो अपना प्लेनेट से आया है। वहीं कुछ स्कल्पचर स्वच्छ भारत का संदेश भी देते हैं। वहीं लकड़ी से आक्टोपस भी बनाया गया है।

आर्ट अवेयरनेस विथ एजुकेशन
कला द्वारा बच्चे के साथ बहुत प्रगाढ़ संबंध बनाए जा सकते हैं। बच्चे द्वारा बनाई कृति कैसी है, इस पर अधिक जोर न दें, बल्कि बच्चे को तनाव मुक्त तथा आनंद की अनुभूति करवाना ही असली मंत्र है। इस कला के सृजनात्मक कार्य से बच्चे में अपनी सीमा पहचानने की क्षमता पैदा होती है तथा वे इसे पूरी तरह से प्रयोग कर सकते हैं। वे अपनी कृतियों तथा अपने आप पर गर्व महसूस करने लगते हैं। 
(तनुल विकमशी, अलग एंगल डायरेक्टर )

यह सुरक्षित माध्यम है

इन सीमित क्षमताओं वाले बच्चों के लिए कला अपने मनोभावों को व्यक्त करने का एक बहुत ही शक्तिशाली परन्तु सुरक्षित माध्यम है। कई स्थितियों में कला विशेषज्ञ की सहायता लेना आवश्यक है परन्तु फिर भी आम व्यक्ति भी इन बच्चों के साथ काम करते हुए ये नियम अपना सकता है। बच्चे अपनी कला में सुरुचि अथवा सौन्दर्य लाएं हैं। हमें उनकी अपने भावों को कला द्वारा ईमानदारी से व्यक्त की है। उनकी क्षमता पर ध्यान कला संवाद की एक भाषा है, अपने भावों को व्यक्त करने का माध्यम। 
(मिली विकमशी, अलग एंगल)


 

Created On :   25 Jun 2018 2:28 PM IST

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