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बढ़ रहा मानव-वन्यजीव संघर्ष , ई-सर्विलांस व्यवस्था से टालने की तैयारी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ में बाघों की संख्या बढ़ रही है। ब्रह्मपुरी में तीस फीसदी बाघ संरक्षित क्षेत्र के बाहर रहते हैं। ऐसे में मानव वन्यजीव संघर्ष के बढ़ने का खतरा भी लगातार बढ़ते जा रहा है। घटनाओं को कम करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। राजस्थान की तर्ज पर ई-सर्विलांस व्यवस्था अपनाई जा रही है। टॉवर पर 360 डिग्री पर काम करने वाले कैमरे लगाए जाने पर विचार जारी है। जियो फेंसिंग लगाए जाने पर विचार किया जा रहा है। इसे पार करते ही प्रजाति की पहचान कर लोगों को चेतावनी भेजने की सुविधा शुरू हो सकती है। राज्य में डीएनए लैब बनाने की योजना को भी मंजूरी मिल गई है। ये विचार एमके राव, एपीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) ने व्यक्त किए।
राव "वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन इन नागपुर विद स्पेशल फोकस ऑन ह्यूमन-वाइल्ड लाइफ कॉन्फिक्ट" विषय पर आयोजित एकदिवसीय कार्यशाला में बोल रहे थे। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट इंडिया की ओर से आयोजित कार्यशाला में वन विभाग के सीएफ एंड फिल्ड डायरेक्टर पेंच टाइगर रिजर्व रवि किरण गोवेकर, टीएटीआर के डेप्युटी कंजर्वेटर आरएम रामानुजम, मीडिया से आलोक तिवारी, शैलेश पांडे, विवेक देशपांडे, विराट सिंह ने विषय पर विचार प्रस्तुत किए। कार्यशाला में डब्ल्यूटीआई के हेड डिवीजन ह्यूमन वाइल्ड लाइफ कॉन्फिक्ट एंड मिटिगेशन डॉ. मयूक चटर्जी, मैनेजर एंड प्रोजेक्ट हेड अनिल कुमार उपस्थित थे। आभार प्रदर्शन वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट इंडिया के प्रफुल्ल भामबुरकर ने किया।
‘मी मुंबईकर’ अभियान
मुंबई के संजय गांधी उद्यान के निकट स्थित आरे कॉलोनी में तेंदुए के दिखने के मामले में खबरों के माध्यम से लोगों का नजरिया बदलने का जिक्र करते हुए राव ने बताया कि ‘मी मुंबईकर’ अभियान मानव-वन्यजीव संषर्घ के मामले में उदाहरण हैं। आज लोगों में तेंदुए की दहशत कम हो गई है। उन्होंने सीख लिया है कि कुछ सावधानियां जैसे साफ-सफाई रखने, रात में प्रकाश की व्यवस्था करने, कचरा नहीं फैलाने और रात में समूह में निकलने जैसे उपायों को अपनाकर संषर्घ को कम किया जा सकता है।
Created On :   29 Aug 2019 1:29 PM IST