सड़क हादसे में घायलों को नहीं मिलती मदद, मोबाइल पर वीडियो बनाने और तस्वीरें लेने लगते हैं लोग

Injured do not get help in road accident, people start making videos and taking pictures
सड़क हादसे में घायलों को नहीं मिलती मदद, मोबाइल पर वीडियो बनाने और तस्वीरें लेने लगते हैं लोग
सड़क हादसे में घायलों को नहीं मिलती मदद, मोबाइल पर वीडियो बनाने और तस्वीरें लेने लगते हैं लोग

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  सड़क हादसे में घायल की मदद करने के बजाय मोबाइल पर वीडियो बनाने और तस्वीरें लेने का ट्रेंड चल पड़ा है। घायल की मदद करने कोई आगे नहीं आता है, इसलिए कि पुलिस के झमेले में कोई पड़ना नहीं चाहता। यातायात पुलिस विभाग के उपायुक्त चिन्मय पंडित का कहना है कि घायल की बेधड़क मदद  करें, पुलिस से डरें नहीं, पुलिस आपकी मदद के लिए है। रही बात मदद करने वाले के नाम व पता पूछने की तो कई बार संबंधित घायल व्यक्ति ही मदद करने वाले की पहचान पूछने लगता है कि आखिर उसे अस्पताल में लाकर किसने छोड़ा, इसलिए उसकी पूछताछ की जाती है। 

सड़क हादसों में जिले में हर माह 20 मौत 
सूत्रों के अनुसार, संतरानगरी में सीमेंट के सड़कों पर भी बवाल उठते रहे हैं। संतरानगरी में गत एक सप्ताह में 7 लोगों ने सड़क हादसों में जिंदगी गंवा दी। आंकड़ों की मानें तो नागपुर जिले में हर माह 20 लोग सड़क दुर्घटना में जान गंवा रहे हैं। विभाग का मानना है कि 60 प्रतिशत मौतें पैदल यात्रियों, साइकिल चालकों और दोपहिया वाहन चलाने वालों की होती है, जो बड़े और भारी वाहनों की चपेट में आ जाते हैं।

मोटर साइकिल हादसों से 5 गुना ज्यादा 
सड़क दुर्घटनाओं के पीछे शराब-मादक पदार्थों का इस्तेमाल करके वाहन चलाना, वाहन चलाते समय मोबाइल पर बातें करना, वाहनों में जरूरत से अधिक भीड़ होना, वैध गति से अधिक तेज़ गति से वाहन चलाना और थकान होना आदि प्रमुख कारण हैं। जानकारों का मानना है कि कार दुर्घटनाओं की तुलना में मोटरसाइकिल हादसों से 5 गुना ज्यादा मौतें होती हैं, 3 गुना ज्यादा लोग घायल होते हैं। 

50 रुपए हर घंटे लगता है चार्ज 
यातायात पुलिस विभाग के अनुसार, गलत जगह पर कार समेत अन्य बडे वाहनों की अवैध तरीके से की गई पार्किंग को लेकर पुलिस वाहन के पहिए पर जामर लगाती है। एक जामर लगाने पर वाहन चालक से हर घंटे 50 रुपए चार्ज लिया जाता है। कई बार उस वाहन चालक के नहीं आने पर पुलिस उस वाहन का रिकार्ड डिवाइस पर लेकर जामर निकाल लेती है। यह वाहन राज्य में कहीं पर जाए अगर पुलिस उसे रोकती है और चालान कार्रवाई करती है तो पुलिस को पता चल जाएगा कि उसका जामर का चालान भी बाकी है।

वर्ष 2019 में 3616 वाहनों को पुलिस ने जामर लगाया। इसके लिए करीब 9 लाख 43 हजार 850 रुपए का चालान वसूला गया। जामर की सबसे अधिक कॉटन मार्केट यातायात विभाग  में 1487, सदर यातायात विभाग में 511 और सोनेगांव यातायात विभाग में 442 कार्रवाई की गई। अजनी में 73, इंदोरा में 114, कामठी में 233, लकड़गंज में 297, एमआईडीसी में 90, सक्करदरा यातायत विभाग ने 189 और सीताबर्डी यातायात विभाग में 180 जामर लगाने की कार्रवाई की। 

22 हजार से अधिक चालकों की गलती 
सूत्रों के अनुसार, यातायात पुलिस विभाग के अनुसार शहर के 10 यातायात जोन में 22 हजार  565 वाहन चालकों ने नो पार्किंग जोन में वाहन खड़ा किया, जिससे उक्त जोन के पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों ने डिवाइस के माध्यम से इन वाहन चालकों का  45 लाख 13 हजार रुपए का ई-चालान बनाकर भेजा।  इन वाहन चालकों में 19942 वाहन चालकों ने 39 लाख 88 हजार 400 रुपए का चालान जमा किया। 2623 वाहन चालकों ने नो पार्किंग में वाहन खडा करने पर ई-चालान जमा नहीं किया। इन वाहन चालकों के इस रवैये के कारण बड़ी दुघर्टना या हादसा हो सकता था। इससे वाहनों को भी नुकसान पहुंच सकता है।   

अप्रशिक्षित चालकों के हाथ स्टीयरिंग 
60 प्रतिशत मौतें पैदल यात्रियों, साइकिल चालकों और दोपहिया वाहन चलाने वालों की होती है जो बड़े और भारी वाहनों की चपेट में आ जाते हैं। सड़क दुर्घटना का असली जड़ भ्रष्टाचार से शुरू होता है, जो चालकों को लाइसेंस जारी करने के दौरान किया जाता है। अनियमितताएं और घूस के माध्यम से अप्रशिक्षित चालकों को भी लाइसेंस जारी कर दिए जाते हैं, जो भविष्य में सड़क हादसों का कारण बनते हैं।

रोके जा सकते हैं हादसे 
सड़क हादसों को रोकने या कम करने की कई संभावनाएं हैं। विशेष रूप से इस कार्य को नागपुर पुलिस विभाग ने एक अभियान के रूप में लिया है और अधिक से अधिक लोगों को सड़क के नियमों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। पुलिस आयुक्त डॉ.भूषणकुमार उपाध्याय और यातायात पुलिस उपायुक्त चिन्मय पंडित का मानना है कि इसके बहुत सकारात्मक परिणाम आएंगे। 

नियम का पालन होगा, तो हादसे नहीं होंगे    
सड़क पर वाहन चलाते समय यातायात नियमों को ध्यान में रखकर हर वाहन चालक वाहन चलाएगा तो सड़क हादसे नहीं होंगे। चौराहों पर बंद सिग्नल होने पर वाहन चालकों की जिम्मेदारी बनती है कि वह वाहन की गति को कम करके चौराहा पार करें, लेकिन कोई इस नियम का पालन ही नहीं करता है। इसके चलते भी शहर में हादसे होते हैं। 
-चिन्मय पंडित,  पुलिस उपायुक्त, यातायात पुलिस विभाग, नागपुर शहर 
 

Created On :   16 Jan 2020 6:34 AM GMT

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