सलाखों के पीछे बेगुनाह बचपन का सवाल सुनते ही छलक जाएंगी आंखें

Innocent childhood asked when we will go home, mother crying
सलाखों के पीछे बेगुनाह बचपन का सवाल सुनते ही छलक जाएंगी आंखें
सलाखों के पीछे बेगुनाह बचपन का सवाल सुनते ही छलक जाएंगी आंखें

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बचपन सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि कई कोरे पन्नों को रंग-बिरंगी यादों से सहेजने का नाम हैं, लेकिन इस दुनिया में कुछ ऐसे मासूम भी हैं, जिनका बचपन सलाखों के पीछे बीत रहा है, सेंट्रल जेल परिसर में बनी महिला जेल में बंद तीन विचाराधीन महिला कैदियों के बच्चों का जीवन कुछ इसी गुजर रहा है। यह मासूम बेगुनाह होते हुए भी अपनी-अपनी मां के साथ जेल के सलाखों के पीछे  बचपन बिताने पर मजबूर हैं। जेल में बंद एक महीला कैदी का मासूम बच्चा कई बार उससे ऐसे सवाल कर देता है कि वह रोने लगती है। बच्चा अक्सर सवाल करता कि हम घर कब जाएंगे, तो वह दिलासा देती, रो पड़ती और पछताती... 

Created On :   24 Nov 2019 6:21 PM IST

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