कलावरी क्लास की पांचवीं पनडुब्बी आईएनएस वागीर भारतीय नौसेना के बेडे में हुई शामिल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कलावरी क्लास की पांचवीं पनडुब्बी आईएनएस वागीर को सोमवार को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया। नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर हरिकुमार की मौजूदगी में मुंबई के नेवल डॉकयार्ड पर‘सैंड शार्क’ कही जाने वाली वागीर को भारतीय नौसेना का हिस्सा बनाया गया। वागीर नौसेना के पश्चिमी कमांड का हिस्सा होगी। साइलेंट किलर कही जाने वाली वागीर का नाम घातक समुद्री शिकारी सैंड फिश की प्रजाति पर रखा गया है। इस मौके पर एडमिरल आर हरिकुमार ने कहा कि वागीर भारतीय नौसेना को और ताकत देगी और विरोधियों के लिए मुश्किल खड़ी करेगी। वागीर 24 महीने में नौसेना में शामिल होने वाली तीसरी पनडुब्बी है। रिकॉर्ड समय में बनाया गया वागीर रक्षा निर्माण के क्षेत्र में हमारी विशेषज्ञता का सबूत है और इससे 2047 तक भारतीय नौसेना को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी। वागीर देश में सबसे कम समय में बनने वाली पनडुब्बी है। बता दें कि मांझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड फ्रांस के नेवल ग्रुप की मदद से प्रोजेक्ट 75 के तहत छह पनडुब्बियां बना रहा है। कलावरी, खंडेरी, करंज, वेला के बाद अब पांचवी जनडुब्बी वागीर नौसेना का हिस्सा बनी है। 12 नवंबर 2020 को लांच की गई वागीर का समुद्री ट्रायल 1 फरवरी 2022 को शुरू किया गया था और दूसरी पनडुब्बियों के मुकाबली इसके सेंसर और हथियारों का परीक्षण कम समय में पूरा कर लिया गया।
क्या है खूबियां
सबमरीन का इस्तेमाल समुद्र के भीतर और दुश्मन की सबमरीन के खिलाफ लड़ाई में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा खुफिया जानकारी जुटाने, समुद्र के भीतर बारूदी सुरंग बिछाने के साथ निगरानी के लिए भी वागीर का इस्तेमाल किया जा सकता है। वागीर पानी के भीतर 40 किलोमीटर प्रति घंटे जबकि सतह पर 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है।
दोबारा लौटी वागीर
इससे पहले वागीर नाम की पनडुब्बी 1 नवंबर 1973 को नौसेना में शामिल की गई थी। तीन दशक तक कई अहम मिशन अंजाम देने के बाद 7 जनवरी 2001 को इसे सेवा मुक्त कर दिया गया था। अब वागीर एक नए रुप रंग में नए तेवर के साथ भारतीय सेना का हिस्सा बनीं है।
Created On :   23 Jan 2023 8:37 PM IST