लोन के बदले किया बीमा,फिर भी नहीं दिया मैक्स बूपा ने क्लेम

Insured in lieu of loan, yet Max Bupa did not claim
लोन के बदले किया बीमा,फिर भी नहीं दिया मैक्स बूपा ने क्लेम
पीड़ित का आरोप: हमारे साथ धोखा कर रहा बीमा कंपनी का प्रबंधन लोन के बदले किया बीमा,फिर भी नहीं दिया मैक्स बूपा ने क्लेम

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। स्वास्थ्य बीमा हो या फिर टर्म पॉलिसी सभी में आम आदमी को गोलमाल का सामना करना पड़ता है। बैंक के माध्यम से बीमा कराने में भी किसी तरह का फायदा नहीं मिल रहा है। कमीशन के चक्कर में बैंक अधिकारी निजी कंपनियों से हाथ मिला लेते हैं और उसके बाद बैंक के ग्राहकों को लोन लेने के दौरान संबंधित कंपनी से बीमा कराने का दबाव बनाया जाने लगता है और जिस कंपनी से कम कमीशन मिलता है उससे बैंक अधिकारी पॉलिसी लेने से मना करते हैं। आम ग्राहकों का आरोप है कि किस तरह ठगना है इसके लिए पूरा गिरोह लंबे समय से काम कर रहा है और जिम्मेदार पूरी तरह मौन हैं। पीड़ित लगातार बीमा कंपनियों के प्रबंधकों के विरुद्ध सख्त एक्शन लेने की माँग कर रहे हैं, पर अभी तक कार्रवाई करने वाले विभाग के प्रमुखों के द्वारा सख्त कदम नहीं उठाया गया है। परेशान होकर बीमित के नॉमिनी को कंज्यूमर फॉर्म में आवेदन लगाना पड़ रहा है।

इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ-

इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर के मोबाइल नंबर -9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।

लिमिट लेने पर बैंक के द्वारा कराया गया था इंश्योरेंस-

परासिया रोड निवासी प्रवीण साहू ने अपनी शिकायत में बताया कि उसका किराना व्यापार है। पिता आशा राम साहू ने बैंक से दस लाख की लिमिट बनवाई थी। लिमिट बनवाने के बदले में बैंक मैनेजर ने मैक्स बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से बीमा कराया था। बीमा कराते वक्त बैंक अधिकारियों ने कहा था कि अगर आपकी असमय मौत होती है तो पूरा लोन आपका बीमा कंपनी देगी। प्रवीण ने बताया कि पिता की अचानक हृदयगति रुकने से 22 अप्रैल 2019 को मौत गई थी। उनकी मौत के बाद बैंक से लोन चुकता करने के लिए नोटिस आने लगे। बैंक अधिकारियों को बीमा के बारे में बताया तो वे उसे मानने के लिए तैयार नहीं हुए। जबरन पूरी रकम बैंक ने जमा कराई और लोन की रकम मिलने पर खुद के अकाउंट में ट्रांसफर करने के लिए कहा गया था। पीड़ित का आरोप है कि चार साल बाद भी बीमा अधिकारियों ने पॉलिसी क्रमांक 50016200201900 का बीमा आज तक नहीं दिया। अनेक प्रकार की क्वेरी निकालकर हमें चक्कर लगवाया जा रहा है, जबकि पॉलिसी का प्रीमियम प्रति वर्ष बीमा अधिकारियों के द्वारा काटा जा रहा था। प्रवीण का कहना है कि बीमा कंपनी के द्वारा हमारे साथ धोखा किया जा रहा है और किसी तरह का जवाब भी जिम्मेदार अधिकारी नहीं दे रहे हैं। बैंक में अभद्रता के साथ बात की जा रही है, वहीं बीमा कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि परीक्षण के बाद नियमानुसार भुगतान किया जाएगा। 
 

Created On :   7 July 2022 11:28 AM GMT

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