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Pune City News: ..तब मुंबई के माफिया की नजर पुणे पर टिकने लगी

- बापू भेगड़े, बुधल्या शेट्टी, रफीक शेख, राजू कानड़ी जैसे नाम सामने आए
- राजन-दाऊद की दुश्मनी का पुणे पर भी रहा असर
भास्कर न्यूज, पुणे। पुणे के अपराध में मुंबई के गुंडे भी सक्रिय होने लग गए थे। उस दौर में दादागिरी का असर साफ नजर आने लगा। मुंबई के किसी न किसी बड़े माफिया से जुड़े थे। बापू भेगड़े, मेघनाद उर्फ बुधल्या शेट्टी, रफीक शेख, मुन्ना शेख, अनिल हेगड़े, थॉमस, राजेश पिल्ले, दिलबाग सिंह, नितिन जाधव, राजू कानड़ी और अजय भोसले जैसे नाम सामने आए। मुंबई पुलिस से बचने के लिए वे पुणे को सुरक्षित ठिकाना मानने लगे और बाद में यहां व्यवस्थित तरीके से जम गए।
1 जुलाई 1990 को शिवाजीनगर स्थित होटल सफारी के मालिक सुरेश अग्रवाल की हत्या हुई। बताया जाता है अरुण गवली ने प्रदीप सोनवणे और उसके साथियों को सुपारी देकर यह हत्या करवाई थी। गवली की सक्रियता लगातार बनी रहने लगी। इस बीच कुख्यात गुंडे मुन्ना शेख के साथी आसिफ शेख को 15 सितंबर 1995 को औरंगाबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया। उस पर केंद्रीय सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क विभाग से छह पिस्तौल चोरी करने का मामला दर्ज था। इधर, गवली गिरोह ने 14 फरवरी 1996 को लोहगांव के पास एक पब संचालक पर गोलीबारी कर दी थी। पुलिस जांच में सामने आया कि उसने हफ्ता देने से इनकार किया था, जिसके कारण यह हमला हुआ।
हफ्ता वसूली को लेकर पुलिस ने मामले दर्ज करना शुरू किए
उस दौरान पुणे में हफ्ता वसूलने की घटनाओं में भी तेजी आई। 27 मई 1997 को कोरेगांव पार्क इलाके में विदेशी मुद्रा का अवैध धंधा करने वाले व्यापारी का अपहरण कर लिया गया। गवली गिरोह से जुड़े रवि परदेशी नामक बदमाश पर मामले में अपराध दर्ज हुआ। उसी साल उल्हासनगर के विवादित विधायक पप्पू कलानी का गिरोह भी पुणे में सक्रिय दिखाई दिया। इस गिरोह का गुंडा अशोक मूलचंदानी 29 जुलाई 1997 को पिंपरी इलाके में डॉक्टर से फिरौती लेते हुए पकड़ा गया। उसका साथी तिरुपती उर्फ तिरप्या पुलिस का वांछित था, लेकिन वह फरार हो गया।
फिर छोटा राजन भी होने लगा सक्रिय
गवली के बाद छोटा राजन गिरोह ने भी पुणे में प्रवेश किया। इस गिरोह ने सैलिस्बरी पार्क इलाके के एक होटल मालिक से हफ्ता मांगा था। मामले में राजन गिरोह के सहयोगी जसबीरसिंह कोहली उर्फ तारी समेत छह लोगों को पुलिस ने पनवेल में गिरफ्तार किया। एसी दौरान गिरोह ने शहर के बिल्डरों को भी निशाना बनाना शुरू किया। हफ्ता लेने के लिए छोटा राजन उर्फ नाना के फोन विदेश से आने लगे। पुलिस ने मामले की गंभीरता देखते हुए मार्च 1996 में विशेष दल गठित किया।
राजन-दाऊद की दुश्मनी का पुणे पर भी रहा असर
90 के दशक में मुंबई में राजन और दाऊद गिरोहों के बीच दुश्मनी चरम पर पहुंच गई थी। इसका असर पुणे पर भी हुआ। कात्रज स्थित किनारा होटल के संचालक नित्यानंद शेट्टी की हत्या 11 जुलाई 1996 को पिस्तौल से गोलियां बरसाकर कर की गई। इस हत्या में ‘कॉन्ट्रैक्ट किलर’ एरिक डिसूजा का नाम सामने आया लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं लगा। वारदात से साफ हो गया कि मुंबई का गैंगवार पुणे तक आ चुका है। उसी कालखंड में शहर और मुंबई के अपराधियों के रिश्ते और उजागर हुए। पिंपरी का कुख्यात गुंडा हनीफ दावल सैयद उर्फ हन्नू मुंबई पुलिस के हत्थे चढ़ा। जांच में सामने आया कि वह दाऊद गिरोह से सुपारी लेकर एक होटल मालिक की हत्या की तैयारी कर रहा था।
Created On :   3 Nov 2025 5:00 PM IST












