Pune City News: तीन मौतों के बाद तेंदुए को जान से मारने की मंजूरी

तीन मौतों के बाद तेंदुए को जान से मारने की मंजूरी
ग्रामीणों का गुस्सा फूटा, सरकारी संपत्ति जलाकर राख

भास्कर न्यूज, पुणे। शिरुर-पिंपरखेड इलाके में एक माह में तीन लोगों की तेंदुआ हमलों में मौत के बाद महाराष्ट्र सरकार ने कड़ा निर्णय लिया है। वन विभाग को उस तेंदुए को विशेषज्ञों की मौजूदगी में बेहोश कर पकड़ने या तेंदुआ पकड़ा नहीं जाता है तो उसे जान से मारने की अनुमति दे दी गई है; यह आदेश 31 दिसंबर 2025 तक वैध रहेगा और इसके बाद विशेष तकनीकी दल कार्रवाई करेगा। शिरुर तहसील के पिंपरखेड गांव में पिछले एक महीने से तेंदुए के लगातार हमलों ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी है। इन हमलों में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है। जिसमें एक पांच वर्षीय बच्ची, एक 70 वर्षीय महिला और एक 13 वर्षीय लड़का शामिल हैं। इन घटनाओं के बाद भड़के ग्रामीणों ने वन विभाग के बेस कैंप और वाहनों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी। बढ़ते जनाक्रोश और गंभीर स्थिति को देखते हुए वन विभाग ने उस तेंदुए को जरूरत पड़ने पर जान से मारने के आदेश जारी किए हैं।

पहली घटना 12 अक्टूबर 2025 को पिंपरखेड में हुई, जब पांच साल की शिवन्या बोंबे नाम की बच्ची पर तेंदुए ने हमला कर उसकी जान ले ली। दूसरी घटना 22 अक्टूबर को जांबुत गांव में हुई, जहां 70 वर्षीय भागाबाई जाधव की मौत हुई। तीसरी और सबसे ताजा घटना 2 नवंबर को पिंपरखेड में हुई, जब 13 वर्षीय रोहन बोंबे खेत के पास खेल रहा था। उसी समय पास के ऊस के खेत में छिपे तेंदुए ने अचानक हमला कर बालक को घसीट लिया और मार डाला।

ग्रामीणों का गुस्सा फूटा, सरकारी संपत्ति जलाकर राख

इन घटनाओं से आक्रोशित ग्रामीणों ने पिंपरखेड में बोलेरो वाहन में आग लगा दी। इसके अलावा बेस कैंप की इमारत को जला दिया गया, खिड़कियां-दरवाजे तोड़े गए, फर्नीचर, सोलर लाइट, टैंक, और अन्य उपकरण नष्ट कर दिए गए थे। गांव में अफरा-तफरी और भय का माहौल बना हुआ है।

वन विभाग ने मांगी कार्रवाई की अनुमति

इस घटनाक्रम के बाद जुन्नर वन विभाग ने प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वन्यजीव), नागपुर को पत्र भेजकर तेंदुए को पकड़ने या बेहोश करने की अनुमति मांगी थी। विभाग ने बताया कि यह वही तेंदुआ है जो तीनों घटनाओं में मानव मृत्यु का कारण बना और अब स्थानीय नागरिकों के जीवन के लिए सीधा खतरा है। राज्य के प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वन्यजीव) एम. श्रीनिवास रेड्डी ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 11(1)(क) के तहत आदेश जारी करते हुए कहा कि शिरुर के पिंपरखेड क्षेत्र में सक्रिय और मानव जीवन के लिए खतरनाक साबित हो चुके तेंदुए को पहले विशेषज्ञों की मौजूदगी में और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार बेहोश कर पकड़ने की कोशिश की जाए। यदि ऐसा संभव न हो, तो उसे जान मारने की अनुमति दी जाती है। यह आदेश 31 दिसंबर 2025 तक के लिए वैध रहेगा।

कार्रवाई की जिम्मेदारी जुन्नर वन विभाग को

राज्य सरकार ने जुन्नर वन विभाग की तकनीकी समिति को इस अभियान की जिम्मेदारी सौंपी है। यह समिति राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों के तहत कार्रवाई करेगी। साथ ही, मुंबई स्थित पश्चिम क्षेत्रीय वन्यजीव कार्यालय को भी पूरे अभियान की निगरानी और रिपोर्टिंग का कार्य सौंपा गया है। वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें, और वनकर्मियों को तेंदुए को पकड़ने में सहयोग करें। अधिकारियों का कहना है कि स्थिति पर पूरी नजर रखी जा रही है और सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम तुरंत उठाए जाएंगे।

Created On :   3 Nov 2025 4:51 PM IST

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