बीमित का आरोप : सारे दस्तावेज देने के बाद भी लगाने पड़ रहे चक्कर, की जाए कार्रवाई
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। बीमा कंपनियाँ अनेक वादे पॉलिसी धारकों से करती हैं पर जब बीमित को मदद की आवश्यकता पड़ती है तो उनके द्वारा हाथ खड़े कर लिए जाते हैं। यहाँ तक की कैशलेस करने से इनकार कर दिया जाता है और जब बिल सबमिट किए जाते हैं तो उनमें अनेक खामियाँ निकालकर नो क्लेम का खेल खेला जाता है। बीमित नो क्लेम का कारण जानना चाहता है तो पॉलिसी धारकों को किसी तरह का जवाब न तो लिखित में दिया जाता है और न ही मौखिक। बीमित सारे दस्तावेज जमा कर भी दे उसके बाद भी बीमा अधिकारी किसी भी तरह का सहयोग नहीं देते हैं। पीड़ित का आरोप है कि बीमा कंपनियाँ आम लोगों के साथ ठगी करने में लगी हैं और पीड़ितों की कहीं सुनवाई नहीं हो रही है।
सात महीने के बाद भी बीमित की नहीं हो रही सुनवाई
मप्र के नरसिंहपुर तेंदूखेड़ा निवासी नंदू लाल यादव ने बताया कि स्टेट बैंक के अधिकारियों ने एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी की हेल्थ पॉलिसी लेने के लिए कहा था। उन्होंने अनेक प्रकार के लाभ मिलने का वादा किया था। पॉलिसी क्रमांक 0000000028644352 का कैशलेस कार्ड भी बीमा कंपनी के द्वारा उपलब्ध कराया गया था। सितम्बर 2022 में एक हादसे में पसलियाँ व हाथ टूट गया। गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। निजी अस्पताल में इलाज के दौरान बीमा कंपनी को सूचना दी गई थी।
बीमा अधिकारियों ने कैशलेस से इनकार करते हुए बिल सबमिट करने पर पूरा भुगतान देने का वादा किया। बीमित ने पूरे इलाज का खर्च अपने पास से वहन किया। ठीक होने के बाद बीमा कंपनी में सारे बिल व अस्पताल की रिपोर्ट सबमिट की। पीड़ित लगातार बीमा कंपनी में संपर्क करते आ रहा है पर सात महीने के बाद भी उसे बीमा क्लेम का भुगतान नहीं किया गया। पीड़ित का आरोप है कि बीमा के अधिकारी जानबूझकर आम लोगों को परेशान करते हैं, जिससे वे क्लेम के लिए बीमा कंपनी में दावा न करें। बीमित का कहना है उसके साथ जालसाजी की जा रही है। वहीं एसबीआई जनरल के अधिकारियों का कहना है कि बीमित का क्लेम प्रोसेस में है और जल्द ही उन्हें भुगतान कर दिया जाएगा।
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Created On :   24 March 2023 1:48 PM GMT