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अमरावती विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट काउंसिल के चुनावों पर अंतरिम रोक

डिजिटल डेस्क,नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने अमरावती के संत गाडगेबाबा विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट काउंसिल के चुनावों पर अंतरिम रोक लगा दी है। यूनिवर्सिटी के सीनेट सदस्य डॉ.भीमराव वाघमारे व अन्य यूनिवर्सिटी के सीनेट ने चुनाव नियमों का पालन नहीं होने का आरोप लगाया था। हाईकोर्ट में दायर याचिका में प्रस्तावित चुनावों में महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन होने का मामला उठाया था। मामले में याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर प्रतिवादी यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया गया, साथ ही चुनावों पर अंतरिम रोक भी लगा दी।
याचिकाकर्ता के अनुसार यूनिवर्सिटी में11 अगस्त को चुनाव रखा गया है। नियमों के अनुसार चुनाव के 45 दिन के भीतर यूनिवर्सिटी मतदाताओं की प्राथमिक सूची घोषित करना जरूरी है। इसके बाद सूची पर कुलसचिव के पास आक्षेप दर्ज कराने के लिए पांच दिन और कुलसचिव के निर्णय पर आपत्ति हो तो कुलगुरु के पास अपील दायर करने का मौका मिलना चाहिए।
याचिकाकर्ता के अनुसार यूनिवर्सिटी ने 21 जुलाई को मतदाता सूची जारी कर दी। नियमों का पालन नहीं किया। ऐसे में उनका इस चुनाव प्रक्रिया को लेकर विरोध है। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट फिरदौस मिर्जा और एडवोकेट अश्फाख शेख ने पक्ष रखा।
टीचर्स एसोसिएशन ने "डिमांड डे" का किया समर्थन
राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के विविध विभागों और संबद्ध महाविद्यालयों में शिक्षकों ने कॉलेजों में काली पट्टी बांधकर काम किया। शिक्षकाें ने महाराष्ट्र फेडरेशन आॅफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स और नागपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित "डिमांड डे" का समर्थन किया। उच्च शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त विविध विसंगतियों को लेकर सरकार की नीतियां गैरप्रभावी साबित हो रही हैं। जिसके खिलाफ शिक्षकों ने अपना आक्रोश व्यक्त किया।
शिक्षकों ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी
बता दें कि पिछले 15 दिनों से महाराष्ट्र फेडरेशन आॅफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स द्वारा यह मुहिम छेड़ी गई है। इसी के तहत नुटा ने नागपुर में शिक्षकों को एकजुट होने की अपील की है। नुटा सह सचिव अजीत जाचक के अनुसार प्रदर्शन इस आंदोलन की एक झलक थी, आगे चल कर शिक्षकों का यह आक्रोश और तेज होगा। शिक्षकों की मांग है कि 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की जाएं, यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में शिक्षक पद भर्ती पर लगी रोक हटाई जाए। वर्ष 2013 में हुए बहिष्कार आंदोलन का रुका वेतन तुरंत अदा किया जाए, सेल्फ फाइनांसिंग पाठ्यक्रम पढ़ाने वाले शिक्षकों के वेतन को तय करने के लिए स्वतंत्र बोर्ड की स्थापना की जाए। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर शिक्षक सरकार के खिलाफ लामबंद हुए हैं।
Created On :   7 Aug 2018 11:27 AM IST