सिंचाई घोटाला : खुल रही एक के बाद एक फाइलें, 12 मामलों में पूछताछ बाकी

Irrigation scam : interrogation is still left in about 12 cases
सिंचाई घोटाला : खुल रही एक के बाद एक फाइलें, 12 मामलों में पूछताछ बाकी
सिंचाई घोटाला : खुल रही एक के बाद एक फाइलें, 12 मामलों में पूछताछ बाकी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाइकोर्ट की नागपुर बेंच में सिंचाई घोटाले पर केंद्रित जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट में एसीबी नागपुर ने गोसीखुर्द प्रकल्प में हुए भ्रष्टाचार की जांच का विवरण प्रस्तुत किया। एसीबी ने हाईकोर्ट में शपथपत्र दायर कर कहा है कि एसीबी ने अब तक इस भ्रष्टाचार के मामले में 20 एफआईआर दर्ज की है। विशेष अदालत में 5 मामलों की चार्जशीट प्रस्तुत कर दी है, वहीं 8 प्रकरणों की जांच पूरी हो गई है। मुकदमा चलाने के लिए जरूरी अनुमति का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा गया है। इसी तरह 4 निविदाओं की पूछताछ पूरी करके सदर पुलिस थाने में एफआईआर दायर की गई है। इनकी जांच अभी चल रही है। इसी तरह एक मामले की पूछताछ पूरी करके एसीबी मुख्यालय ने क्लोजर की अनुमति दी है। 7 निविदाएं ऐसी हैं, जिनकी पूछताछ अंतिम स्टेज पर है, एसआईटी जल्द ही इसे भी पूरा कर लेगी। कुल 12 मामलों की पूछताछ अभी बाकी है। 

कामकाज की स्थिति दो सप्ताह में प्रस्तुत करने के आदेश
एसीबी का पक्ष सुनकर हाईकोर्ट ने विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल को विदर्भ के सिंचाई प्रकल्पों के कामकाज की स्थिति दो सप्ताह में प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। मामले में सरकार की ओर से विशेष सरकारी वकील आनंद जयस्वाल, याचिकाकर्ता की ओर से एड. फिरदौस मिर्जा और एड. श्रीधर पुरोहित ने पक्ष रखा। इसके पूर्व हाईकोर्ट ने सत्र न्यायालय के सामने लंबित सिंचाई घोटाले से जुड़े आपराधिक मामलों का ट्रायल तीन माह में पूरा करने के आदेश दिए थे। 

यह है मामला
उल्लेखनीय है कि जनमंच संस्था ने विदर्भ में विविध सिंचाई प्रकल्पों में बड़े भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाती जनहित याचिका दायर की थी। वर्ष 2014 में सरकार ने इस मामले की खुली जांच करने का आश्वासन दिया था। जांच व्यवस्थित ढंग ने नहीं होने का मुद्दा कोर्ट के संज्ञान में लाया गया था। जिसके बाद कोर्ट मामले में विविध आदेश जारी कर रहा है। कथित तौर पर 70 हजार करोड़ के इस भ्रष्टाचार में नुकसान भरपाई पर भी हाईकोर्ट गंभीर हुआ है। नुकसान भरपाई घोटाले में लिप्त अधिकारियों से निजी तौर पर की जाए या फिर समूचे विभाग से ही यह रकम वसूली जाए, इस पर कोर्ट अगली सुनवाई में फैसला सुनाएगा।

साथ ही राज्य सरकार के सेवानिवृत्त नियम के अनुसार किसी भी सरकारी अधिकारी-कर्मचारी की सेवानिवृत्त के चार साल बाद उस पर भ्रष्टाचार का कोई मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। इस नियम की आड़ में सिंचाई घोटाले में लिप्त जो सरकारी अधिकारी-कर्मचारी बच निकले हैं, उनकी जिम्मेदारी किसकी है, इस पर भी कोर्ट का फैसला बाकी है। 

Created On :   7 Sep 2018 7:26 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story