गोसीखुर्द घोटाला: 5,384 करोड़ के टेंडर रद्द, नए सिरे से शुरू होगी प्रोसेस

Irrigation Scam: Tender cancelled worth  5,384 crore
गोसीखुर्द घोटाला: 5,384 करोड़ के टेंडर रद्द, नए सिरे से शुरू होगी प्रोसेस
गोसीखुर्द घोटाला: 5,384 करोड़ के टेंडर रद्द, नए सिरे से शुरू होगी प्रोसेस

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गोसीखुर्द परियोजना में एक के बाद एक कड़ी खुल रही है लिहाजा पिछले साल भर में करोड़ों के टेंडर रद्द कर नई टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है। जानकारी के अनुसार गोसीखुर्द बांध निर्माणकार्य संबंधी पिछले साल भर में 5 हजार 384 करोड़ रुपए के 80 टेंडर रद्द की गई है।  काम जिस स्थिति में था, उसे उसी हालत में रद्द कर दिया गया है। जितना काम हुआ था, उसका मूल्यांकन कर ठेकेदारों को भुगतान करने की प्रक्रिया शुरू है। 

2007 से 2010 तक की सारी निविदाएं रद्द
जिन 80 निविदाओं को रद्द किया गया है, वह वर्ष 2007 से 2010 के बीच की बताई गई हैं। इन निविदाओं में काम को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जाने की जानकारी है। ठेकेदार एजेंसियों पर भी काम के अनाप-शनाप दाम वसूलने का आरोप है। निविदाएं जारी होने के बाद उन कामों की लागत मूल्य और बढ़ाकर दी गई है। कई कामों में घटिया निर्माणकार्य का भी आरोप है। इस कारण उस समय की सभी निविदाएं रद्द करने का आदेश दिया गया है।

निर्माणकार्य प्रभावित
घोटालों का सबसे बुरा असर निर्माणकार्य की गति पर हुआ है। भ्रष्टाचार का मुद्दा गर्माने के बाद गोसीखुर्द बांध का निर्माणकार्य ठप पड़ा है। अब अधिकारी से लेकर ठेकेदार किसी भी कार्य में हाथ डालने या निर्णय लेने से बच रहे हैं। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि 80 में से अब तक सिर्फ 15 निविदाएं फाइनल हुई हैं। अब तक इस मामले में अनेक अधिकारी और ठेकेदारों पर मामले दर्ज किए गए हैं। कई लोग जेल में हैं।

मामला खूब गर्माया
कांग्रेस-राकांपा आघाड़ी सरकार के कार्यकाल में गोसीखुर्द बांध के निर्माणकार्य में भ्रष्टाचार का मामला खूब गर्माया था। मामले में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री अजित पवार, सिंचाई मंत्री सुनील तटकरे, पूर्व विधायक संदीप बाजोरिया समेत अनेक नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। हाईकोर्ट में एसीबी ने रिपोर्ट देते हुए संदीप बाजोरिया की भूमिका को मान्य किया है और अजित पवार की भूमिका को लेकर जांच-पड़ताल जारी होने की जानकारी दी है। मामला गर्माने के बाद वर्ष 2012 से गोसीखुर्द बांध से संबंधित सभी काम बंद हैं। 2016 तक यहां किसी तरह का निर्माणकार्य नहीं हुआ है। 

फूंक-फूंककर कदम
विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल ने भी सरकार के निर्णय के आने की प्रतीक्षा की। 23 सितंबर 2016 को राज्य सरकार से सभी निविदाएं रद्द करने के आदेश मिले। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से सभी निविदाएं रद्द की गई हैं। अब कार्यों का मूल्यांकन जारी है। हाईप्रोफाइल मामला बनने से ठेकेदार एजेंसियां भी फूंक-फूंककर निविदाएं भर रही हैं। 

अगले माह से काम शुरू करने का दावा
विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल अंतर्गत गोसीखुर्द प्रकल्प विभाग ने 80 कामों के लिए निविदाएं आमंत्रित की  थीं, जिसमें से अब तक सिर्फ 15 कामों के लिए ही निविदाएं आने की जानकारी है। हालांकि विभाग ने दावा किया कि मार्च अंत तक सभी निविदाएं फाइनल कर अप्रैल से काम शुरू कर दिया जाएगा।  

काम में गति
परियोजना के सभी बड़े काम होने का दावा करते हुए बताया गया कि योजना अंतर्गत अब छोटी नहरें और पुनर्वसन का काम शेष है। इन कामों को अप्रैल से गति मिलने व वर्ष 2020 तक प्रकल्प पूरा होने का दावा किया गया है। 

* 372 करोड़ रुपए की परियोजना 18 हजार 494 करोड़ तक पहुंची 
* 10 हजार 264 करोड़ रुपए अब तक परियोजना पर खर्च हो चुके हैं 
* 5590 करोड़ रुपए ही सिर्फ मिल पाए हैं अब तक केंद्र से इसके लिए
* 1092 करोड़ अब एआईबीपी फंड से केंद्र ने देने का निर्णय लिया है
* 6086 करोड़ रुपए नाबार्ड के जरिए कर्ज के रूप में उपलब्ध कराएंगे
* 1054 करोड़ रुपए भविष्य में राज्य सरकार की तरफ से मिलने का दावा

Created On :   6 March 2018 1:41 PM IST

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