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होमियोपैथी, आयुर्वेद डॉक्टरों को एलोपैथी प्रैक्टिस की अनुमति देना एक षड़यंत्र -डॉ. वानखेड़कर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेड़कर ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार होमियोपैथी और आयुर्वेद के डॉक्टरों को एलोपैथी में प्रैक्टिस करने की अनुमति देने का षड़यंत्र रच रही है। भविष्य में इसके दूरगामी परिणाम होंगे। इस क्रॉसपैथी को अनुमति देने से पहले राजनीतिक नेता व संबंधित अधिकारियों को डॉक्टरों से उपचार करना चाहिए। आईएमए नागपुर शाखा के पदग्रहण समारोह के लिए वे नागपुर आए थे। प्रेस कांफ्रेंस में वे बोल रहे थे।
क्षेत्र के अनुसार ही हो प्रैक्टिस
डॉ. वानखेड़कर ने कहा कि नेता और वरिष्ठ अधिकारी द्वारा जेनेरिक दवाई, स्टेन की कीमतों पर मर्यादा सहित अन्य निर्णय लिए जाते हैं, लेकिन महंगे स्टेन लगाने के लिए यह लोग विदेश जाते हैं, जिस कारण अन्य को ये स्टेन लगाने का अधिकार नहीं है क्या? यह प्रश्न उपस्थित कर डॉ. वानखेड़कर ने केंद्र के राष्ट्रीय वैद्यकीय आयोग (एनएमसी) का आईएमए की ओर से विरोध जताया। उन्होंने कहा कि वैद्यकीय क्षेत्र में प्रत्येक पैथी की तकनीक और अध्ययन अलग-अलग है। शिक्षा लेने वाले क्षेत्र में ही डॉक्टरों को प्रैक्टिस करनी चाहिए, किन्तु सरकार छह महीने में एक ब्रिज कोर्स की मदद से अन्य विषयों के डॉक्टरों को एलोपैथी की प्रैक्टिस करने की अनुमति दे रही है।
भविष्य की दृष्टि से यह घातक है। अत्यंत कम अवधि में अन्य पैथी के डॉक्टरों को एलोपैथी प्रति जैविक दवाई का उपयोग कैसे करना, यह समझना संभव नहीं है। यह खतरनाक निर्णय लेने के पूर्व नेता और अधिकारियों को क्रॉसपैथी के डॉक्टरों से उपचार कराने की जरूरत है। इसके बाद उन्हें इस निर्णय के दुष्परिणाम की कल्पना होगी। इस अवसर पर आईएमए के राज्य अध्यक्ष डॉ. वाई. एस. देशपांडे, डॉ. अशोक अढाव, डॉ. वैशाली खंडाईत, डॉ. आशीष दिसावल, डॉ. दिनेश अग्रवाल उपस्थित थे।
वैद्यकीय क्षेत्र का दर्जा घटेगा
एक प्रावधान अनुसार निजी वैद्यकीय महाविद्यालय के 50% जगह के शुल्क निर्धारण का अधिकार निजी महाविद्यालयों को होगा। ऐसा होने पर महाविद्यालयों को मनमाना शुल्क वसूलने का अधिकार मिल जाएगा। वहां 50% जगह पर रईसों को आरक्षण मिलने में मदद होगी, जिसके बाद वैद्यकीय शिक्षा गरीब और मध्यम वर्ग की हैसियत से बाहर हो जाएगी। डॉ. वानखेड़कर ने कहा कि कम अंक पाने वाले डॉक्टर बनेंगे, जिससे वैद्यकीय क्षेत्र का दर्जा घटेगा। डॉक्टरों पर होने वाले हमले की घटनाओं को देखते हुए सरकार को सख्त कानून बनाना चाहिए।
Created On :   30 April 2018 12:22 PM IST