बीमार कैदी को अस्पताल पहुंचाना जेल प्रशासन की जिम्मेदारी : हाईकोर्ट

Jail administration Responsibility to bring the sick prisoner to hospital
बीमार कैदी को अस्पताल पहुंचाना जेल प्रशासन की जिम्मेदारी : हाईकोर्ट
बीमार कैदी को अस्पताल पहुंचाना जेल प्रशासन की जिम्मेदारी : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क मुंबई।  बांबे हाईकोर्ट ने बीमार कैदी की जांच के लिए पुलिस बल उपलब्ध न करने के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कोई कैदी बीमार है तो उसे जेल अधिकारियों को प्राथमिकता से अस्पताल में पहुंचाना चाहिए। इसलिए हम जानना चाहते हैं कि बीमार कैदी को अस्पताल ले जाने के लिए नाशिक पुलिस आयुक्तालय ने क्यों जरुरी पुलिस बल उपलब्ध नहीं कराया। जबकि जेल प्रशासन ने पुलिस बल उपलब्ध कराने के लिए नाशिक पुलिस आयुक्तालय में दो बार लिखित रूप से आग्रह पत्र भेजा था। 
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वीके ताहिलरमानी व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने नाशिक पुलिस आयुक्तालय में पुलिस बल उपलब्ध करानेवाले विभाग को 19 जनवरी तक इस संबंध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने यह निर्देश कैदी महबूब अब्बास अली की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। तपेदिक व डायबीटिज से पीड़ित अली ने याचिका में अपनी बीमारी को आधार बनाकर अदालत से पेरोल प्रदान करने का अनुरोध किया है। खंडपीठ ने याचिका पर गौर करने के बाद कहा कि पेरोल से संबंधित कानून में कैदी खुद की बीमारी के आधार पर पेरोल की मांग नहीं कर सकता है। 
नाशिक पुलिस से मांगा जवाब : इस बीच याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वे इस संबंध में सरकार की अधिसूचना व दूसरे प्रावधान देखना चाहते हैं। इसलिए उन्हें थोड़ा वक्त दिया जाए। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। गौरतलब है कि अली को अगस्त से नवंबर 2017  के बीच मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती किया गया था। इलाज के बाद अली को नाशिक रोड सेंट्रल जेल में भेज दिया गया था। अली की बीमार स्थिति को देखते हुए अदालत ने जेल अधिकारियों को 5 दिसंबर को अली का चेकअप नाशिक रोड सिविल अस्पताल में चेकअप कराके मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा था। जब यह मामला सुनवाई के लिए आया तो जेल अधिकारियों ने अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट नहीं पेश की। रिपोर्ट न पेश करने की वजह पूछने पर जेल अधिकारियों ने कहा कि पुलिस बल उपलब्ध न कराए जाने के चलते कैदी को अस्पताल नहीं ले जाया जा सका। हमने दो बार नाशिक पुलिस आयुक्तालय को पुलिस बल उपलब्ध कराने के संबंध में पत्र लिखा। फिर भी पुलिस बल नहीं उपलब्ध कराया गया है। इससे नाराज खंडपीठ ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए इस मामले को लेकर नाशिक पुलिस आयुक्तालय के संबंधित विभाग को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। 

Created On :   26 Dec 2017 12:15 PM GMT

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