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AICTE के निर्णय से 800 प्रोफेसरों की नौकरी खतरे में

सौरभ खेकडे ,नागपुर। एआईसीटीई द्वारा आगामी शैक्षणिक सत्र में किए गए बदलाव से लगभग 800 नौकरियों पर तलवार लटकती नजर आ रही है। एआईसीटीई ने फैकल्टी अनुपात में काफी चेंजेस किए हैं फलस्वरुप एक समय पर टॉप के कैरियर विकल्प समझे जाने वाले इंजीनियरिंग और एमबीए जैसे तकनीकी पाठ्यक्रमों के सैकड़ों प्रोफेसरों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। आगामी शैक्षणिक सत्र 2018-19 में इंजीनियरिंग, एमबीए, एमसीए, पॉलिटेकनिक और फार्मेसी पाठ्यक्रमों के 800 के करीब प्रोफेसरों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।
लगभग तय है निर्णय
उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय तंत्र शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने आगामी शैक्षणिक सत्र में एक बड़ा बदलाव किया है। अब तक कॉलेजों में 15 स्टूडेंट्स पर एक प्रोफेसर अनिवार्य किया गया था। मगर आगामी सत्र से एआईसीटीई ने 20 स्टूडेंट्स पर एक प्रोफेसर को पर्याप्त माना है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो एआईसीटीई का यह निर्णय लागू होना लगभग तय है। ऐसे में नौकरी जाने की आशंका से प्रोफेसरों में हड़कंप है।
ये पाठ्यक्रम हैं शामिल
हाल ही में एआईसीटीई ने स्टूडेंट-फैकल्टी रेशो (अनुपात) को पुनर्निर्धारित किया है। पूर्व में जहां कॉलेजों में स्टूडेंट-फैकल्टी रेशो 15:1 का था, वहीं आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए एआईसीटीई ने यह आंकड़ा 20:1 तय किया है। इस दायरे में इंजीनियरिंग, पॉलिटेनिक, एमबीए, एमसीए, फार्मेसी जैसे तकनीकी पाठ्यक्रमों का भी समावेश है। इतनी बड़ी संख्या में होने वाली प्रोफेसरों की छंटनी से प्रोफेसर तिलमिलाए हुए हैं। तमिलनाडु और अन्य क्षेत्रों से कुछ संगठनों ने सर्वोच्च न्यायालय में इस निर्णय को चुनौती दे रखी है। मगर जानकारों का दावा है कि एआईसीटीई का निर्णय लागू होना तय है।
बढ़ेगा प्राध्यापकों का वर्कलोड
स्टूडेंट फैकल्टी रेशो में बदलाव के कारण नागपुर में सैकड़ों की संख्या में प्रोफेसरों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। देखा जाए तो संस्थानों को इसमें फायदा है, साथ ही इससे ट्यूशन फीस भी कम होगी। लेकिन हमारा आकलन है कि इससे कॉलेजों में गुणवत्ता पर असर पड़ेगा। प्रोफेसरों पर वर्कलोड बढ़ेगा। उन्हें पहले से ज्यादा लेक्चर लेने होंगे।
(अविनाश दोरसटवार, संचालक)
फैसला लागू होगा
एआईसीटीई के फैसले का असर पड़ेगा, कुछ प्रोफेसरों की नौकरियां जाएंगी, मगर एआईसीटीई ने सभी पहलुओं के मद्देनजर यह निर्णय लिया है। ऐसे में आगामी सत्र से यह लागू होगा। इसमें उन संस्थानों का फायदा है जो प्रोफेसरों की कमी से जूझ रहे थे। अब उनकी प्रोफेसरों की वैकेंसी कम होगी तो उनका दर्जा सुधारने के मौके हैं।
(गुलाबराव ठाकरे, सह संचालक उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग नागपुर)
Created On :   30 March 2018 12:17 PM IST