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कमलनाथ ने कहा वे नहीं चाहते कि मुद्दों पर चर्चा हो

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने खुले शब्दों में कहा संसद चलाना और विधानसभा चलाना सरकार की जिम्मेदारी होती है। विपक्ष से बात करके तालमेल बनाकर बीच का रास्ता ढूंढकर सदन चलाया जाना चाहिए। इस बार विधानसभा का मानसून सत्र शुरू से ही चार दिन का रखा। उससे इनकी नीयत समझ सकते है, केवल तीन दिन ही दिया गया। इन तीन दिनों में बाढ़ पीडि़तों की बात, महंगाई का मुद्दा, यूरिया का मुद्दा, कोविड का मुद्दा, बेरोजगारी के मुद्दे पर कोई बात न हो यह प्रयास सरकार ने किया। गुरुवार को 4 दिनी प्रवास पर छिंदवाड़ा पहुँचे कमलनाथ ने मीडिया से चर्चा में यह बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार नहीं चाहती थी कि उनकी किसी बात का खुलासा न हो। तीन दिन में ही वे अंतरिम बजट पास करने से लेकर अन्य मुद्दों पर भी चर्चा करना चाह रहे थे। कुल मिलाकर सरकार जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रही है। एक दिन तो श्रदांजलि के लिए स्थगित हुई। दूसरे दिन ढाई घण्टे चली। मैंने सवाल किया कि आदिवासी दिवस का अवकाश क्यों बन्द किया, जिसका जवाब नहीं मिला। आदिवासी तो सम्मान का भूखा है। किसी भी ध्यानाकर्षण पर भी स्वीकार नहीं हुए। तो क्या हम सजावट के लिए बैठे हैं और विधानसभा समाप्त हो गई। ओबीसी रिजर्वेशन का मुद्दा उठाया उस पर भी बात करने को तैयार नहीं हुए। किसान परेशान है। बाढ़ से हजारों लोगों संकट में है। कोरोना पर चर्चा करने को तैयार नहीं है, तो ऐसी सरकार जिसकी आंख बंद है कान बन्द है। इससे उनकी कथनी और करनी साफ होती है।
शिवराज सिंह चौहान और कैलाश विजयवर्गीय की भुट्टा पार्टी पर सवाल के जवाब में उन्होंने चुटकी ली, कहां की गई थी, अगर भुट्टा से एकजुट हो सकते हैं तो फिर लड्डू पार्टी करें , शायद इससे और नजदीक हो जाएं।
Created On :   12 Aug 2021 2:48 PM IST