तीन लाख 55 हजार हेक्टेयर में बोई जाएगी खरीफ की फसल, शुरू कर दें फसल की बुवाई

Kharif crops are ready for sowing in about 55 thousand hectare
तीन लाख 55 हजार हेक्टेयर में बोई जाएगी खरीफ की फसल, शुरू कर दें फसल की बुवाई
तीन लाख 55 हजार हेक्टेयर में बोई जाएगी खरीफ की फसल, शुरू कर दें फसल की बुवाई

डिजिटल डेस्क, छतरपुर। पिछले तीन साल से भीषण सूखा के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। फसलों का उत्पादन घटकर आधा भी नहीं रह गया है। ऐसे में इस साल बारिश को सभी उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं। कृषि विभाग ने खरीफ की फसल की बुवाई को लेकर तैयारियां पूरी कर ली हैं। विभाग ने इस साल 3 लाख 55 हजार हेक्टेयर में खरीफ का लक्ष्य निर्धारित किया है। खरीफ की बुवाई के लिए मात्र 100 मिमी बारिश की जरूरत है, जो 70 प्रतिशत के करीब हो चुकी है। एक-दो दिन में निर्धारित बारिश हो जाएगी। खरीफ की फसल की बुवाई के लिए उचित है।

बुवाई के लिए है अभी पर्याप्त समय
डीडीए मनोज कश्यप ने बताया कि संपूर्ण बुंदेलखंड में खरीफ की फसल की बुवाई जुलाई के पहले सप्ताह से आखिरी सप्ताह तक होती है। इस फसल की बुवाई के लिए 100 मिमी बारिश होना जरूरी होता है। एसएलआर आदित्य सौनकिया ने बताया कि अभी जिले में 72 मिमी औसत बारिश हो चुकी है। ऐसे में मात्र अब 28 मिमी बारिश ही खरीफ की फसल बुवाई के लिए चाहिए है, जबकि अभी 27 दिन का समय बुवाई करने के लिए है। ऐसे में किसानों को पर्याप्त समय है और अगर एक-दो दिन में मामूली बारिश भी होती है तो बुवाई शुरू हो जाएगी।

50 प्रतिशत रकबे में होगी उड़द की बुवाई
डीडीए मनोज कश्यप ने बताया कि शनिवार को हुई विभाग की बैठक में इस साल जिले में खरीफ की फसल बुवाई का रकबा तीन लाख 55 हजार हेक्टेयर निर्धारित किया गया है। इसमें एक लाख 72 हजार हेक्येटर में उड़द की फसल की बुवाई होगी। करीब पांच साल पहले तक जिले में सबसे अधिक सोयाबीन की फसल बोई जाती थी, लेकिन मृदा परीक्षण न होने और किसानों द्वारा लगातार एक ही फसल लेने के कारण सोयाबीन उत्पादन घटने लगा था। ऐसे में अब जिले में किसानों की सोयाबीन में रुचि कम हो गई है।

डीडीए ने बताया कि इस साल 50 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई होगी। उड़द के बाद जिले में दूसरे स्थान पर तिल का रकबा है। करीब 60 हजार हेक्टेयर में तिल की बुवाई का लक्ष्य इस साल निर्धारित किया गया है। चूंकि खंड बारिश और कम बारिश इस जिले में होती है, इस कारण तिल की फसल का उत्पादन बेहतर होता है। डीडीए ने बताया कि जिले में अरहर और मूंग की फसल भी पर्याप्त रकबा में बोई जाएगी।

राजनगर और बड़ामलहरा में होगी धान की फसल
जिले के बड़ामलहरा और राजनगर विकास खंड क्षेत्र में धान की फसल भी बोई जाएगी। डीडीए के अनुसार इस दोनों ही विकास खंडोंं की मिट्टी व पानी भराव का क्षेत्र होने के कारण धान की पैदावार अच्छी होती है। ऐसे में इस साल इन दोनोंं ही विकास खंडों में धान की फसल की बुवाई की जाएगी।

किसान योजनाओं का लें लाभ
व्किसानों के लिए मेरे विभाग में अनेक योजनाएं हैं। किसान टोल फ्री नंबर से इनकी जानकारी ले सकते हैं। विभाग में संपर्क कर सकते हैं। ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी इनका मार्गदर्शन कर रहे हैं। थोड़ी बारिश का इंतजार कर बवाई शुरू की जा सकती है।
मनोज कश्यप, डीडीए, छतरपुर

 

Created On :   4 July 2018 8:10 AM GMT

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