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जानिए ऊर्जा मंत्री का दावा और क्या है महावितरण की हकीकत
डिजिटल डेस्क, नागपुर। पालकमंत्री व ऊर्जा मंत्री डाॅ. नितीन राऊत भले ही यह दावा करें कि महावितरण में स्टॉफ की कोई कमी नहीं है, लेकिन उनके गृहनगर में ही स्टॉफ की भारी कमी है। 2011 में शहर के तीन विभागों में 1078 कर्मचारी थे, जबकि 2020 में इन तीन विभागों में करीब 800 कर्मचारी ही बच गए हैं। समय के साथ दायरा बढ़ा, उपभोक्ता बढ़े, काम का दबाव बढ़ा। बस नहीं बढ़े तो कर्मचारी। महावितरण जब शहर के तीन विभागों की जिम्मेदारी संभालता था, उस वक्त 1078 कर्मचारी कार्यरत थे। महावितरण ने मई 2011 को शहर के गांधीबाग, महल व सिविल लाइन्स विभाग की जिम्मेदारी एसएनडीएल को दी थी। 9 सितंबर 2019 को महावितरण ने पुन: तीन विभागों का काम अपने हाथ में लिया। अब महावितरण के पास अपने व आउटसोर्सिंग के मिलाकर 800 कर्मचारी हैं। नौ साल में तीन विभागों का क्षेत्रफल बढ़ने के साथ ही उपभोक्ता व काम का दायरा भी काफी बढ़ गया है। शहर के ही कांग्रेसनगर विभाग की बात करें, तो 400 से ज्यादा कर्मचारी हैं। बकाया बिल की सबसे ज्यादा राशि महल, गांधीबाग व सिविल लाइन्स से ही वसूल करनी है। बकाया बिल की वसूली के लिए ज्यादा स्टॉफ की जरूरत होती है। ऊर्जा मंत्री ने करीब एक माह पहले ही नागपुर के देशपांडे हॉल में पत्रकारों से मुखातिब होकर दावा किया था कि स्टॉफ की कमी नहीं है। ऐसे में महावितरण में स्टॉफ की कमी का होना सवाल खड़े करता है।
08 सितंबर 2019 से शहर के महल गांधीबाग व सिविल लाइंस विभाग की
मिली जिम्मेदारी
03 विभागों में बकाएदारों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है आर्थिक परेशानी
300 कर्मचारियों की है जरूरत
2011 में करीब तीन लाख उपभोक्ता गांधीबाग, महल व सिविल लाइन्स विभाग में थे
2020 आते-आते उपभोक्ताओं की संख्या सवा चार लाख के पार पहुंची तो बढ़ी मुसीबत
पी. वेंकटेशन नायडू, केंद्रीय सह सचिव एमएसईबी वर्कर्स फेडरेशन के मुताबिक महावितरण के पास इन तीन विभागों में 2011 में 1078 कर्मचारी थे, वर्तमान में महावितरण व आउटसोर्सिंग के मिलाकर करीब 800 कर्मचारी है। वसूली, दैनिक कार्य व अन्य तकनीकी कार्यों व उपभोक्ताओं की समस्या के निपटारे के लिए और स्टाफ चाहिए। ऊर्जा मंत्री व मुख्य अभियंता से स्टाफ की मांग की गई है। काम काफी बढ़ गया है, ऐसे में आैर 300 कर्मचारियों की जरूरत है।
कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने का चल रहा प्रयास
दिलीप घुगल मुख्य अभियंता महावितरण के मुताबिक महल, गांधीबाग व सिविल लाइन्स में बकाया बिल की राशि ज्यादा है। वसूली के लिए ज्यादा स्टॉफ की जरूरत है। पुनर्नियोजन करके या आउटसोर्सिंग के माध्यम से कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की कोशिश है। एमपीआर मुख्यालय को भेजा गया है। अभी तक मान्यता नहीं मिली है। जैसे भी हो स्टॉफ बढ़ाने की कोशिश है। वसूली के लिए ज्यादा की जरूरत होती है।
एमएसईबी वर्कर्स फेडरेशन, विद्युत क्षेत्र तकनीकी कामगार संगठन, इलेक्ट्रिसिटी लाइनस्टाफ एसोसिएशन व भारतीय मजदूर संघ ने तब के और अब के स्टॉफ का हवाला देते हुए ऊर्जा मंत्री को स्टॉफ बढ़ाने का अनुरोध किया है। मुख्य अभियंता दिलीप घुगल से भी स्टाॅफ बढ़ाने की मांग की है। मुख्य अभियंता की तरफ से मुख्यालय को मैनपावर बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन इसे अब तक मान्यता नहीं मिली है।
महावितरण से 21,570 मेगावाट बिजली आपूर्ति
महावितरण 21 हजार 570 मेगावाट बिजली की मांग पूरा करने में सफल हुआ है। यह अधिकतम बिजली की मांग से 825 मेगावाट ज्यादा है। इसके पहले 23 अक्टूबर 2018 को अधिकतम 20 हजार 745 मेगावाट बिजली की मांग दर्ज की गई थी। यह मांग पिछले साल फरवरी महीने में अधिकतम मांग की अपेक्षा करीब 3 हजार 320 मेगावाट याने 18% ज्यादा है। महावितरण को महानिर्मिती से 7 हजार 853 मेगावाट, एनटीपीसी व एनपीसीआईएल कंपनी से कुल 4 हजार 134 मेगावाट व निजी प्रकल्प जैसे अदानी पॉवर, रतन इंडिया, सीजीपीएल, जेएसडब्ल्यू, एम्को आदि से कुल 4 हजार 567 मेगावाट बिजली उपलब्ध हुई है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत, सौर ऊर्जा-1864 मेगावाट, पवन ऊर्जा- 156 मेगावाट, सहविजनिर्मिती प्रकल्प से 912 मेगावाट इस तरह कुल 2 हजार 932 मेगावाट बिजली उपलब्ध हुई है। शेष बिजली की मांग इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से 575 मेगावाट बिजली खरीदकर व 950 मेगावाट कोयना जल विद्युत प्रकल्प से विद्युत निर्मिती कर पूर्ण की है।
Created On :   21 Feb 2020 6:38 PM IST