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कृष्णा नदी जल बंटवारा : आंध्रप्रदेश की याचिका का विरोध करेगा कर्नाटक - महाराष्ट्र

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कृष्णा नदी जल विवाद न्यायाधिकरण को चुनौती देने वाली आंध्रप्रदेश की याचिका का महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकार संयुक्त रूप से विरोध करेगी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और कर्नाटक के मुख्यमंत्री वी एस येदियुरप्पा ने यह फैसला किया है। मंगलवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री फडणवीस से सरकारी आवास वर्षा पर मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने फैसला लिया कि बाढ़ आपदा व्यवस्थापन के लिए दोनों राज्यों की एक संयुक्ति समिति बनाई जाएगी। कृष्णा नदी जल विवाद न्यायाधिकरण ने तत्कालीन आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्य के बीच पानी बांटने का फैसला किया था लेकिन आंध्रप्रदेश ने अब तेलंगाना राज्य बनने के बाद पानी वितरण के लिए पुन: नियोजन करने की भूमिका अपनाई है। इसके लिए आंध्रप्रदेश ने याचिका दाखिल की है। इस पर महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकार का कहना है कि चूंकि न्यायाधिकरण ने तत्कालीन संयुक्त आंध्रप्रदेश के लिए फैसला दिया है। इसलिए उसके हिस्से में आने वाले पानी के बंटवारे के बारे में अब आंध्रप्रदेश और तेलंगाना मिलकर आपस में फैसला करें। न्यायाधिकरण को चुनौती देने वाली आंध्रप्रदेश की भूमिका का महाराष्ट्र और कर्नाटक मिलकर विरोध करेंगे।
बाढ़ रोकने बनेंगी दोनों राज्य की संयुक्त समिति
इस बैठक में दोनों राज्यों के बाढ़ आपदा प्रबंधन के लिए संयुक्त उच्चस्तरीय समिति बनाने का भी फैसला किया गया। दोनों राज्यों की बाढ़ की स्थिति को मात देने के लिए आपदा प्रबंधन के लिए संयुक्त रूप से उच्चस्तरीय समिति बनाई जाएगी। समिति के माध्यम से दोनों राज्य के बांधों के पानी के बारे में नियोजन किया जाएगा। साथ ही समन्वय स्थापित किया जाएगा। गौरतलब है कि हाल ही में पश्चिम महाराष्ट्र में आई बाढ़ के लिए कुछ लोग कर्नाटक को जिम्मेदार ठहरा रहे थे। बैठक में प्रदेश के जलसंसाधन मंत्री गिरीश महाजन, ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डॉ अश्वतनारायण, गृहमंत्री बसवराज बोम्मई और सांसद राघवेंद्र मौजूद थे।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।