श्री महालक्ष्मी जगदंबा संस्थान कोराडी में नवरात्रोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। अष्टमी पूजन पर रविवार अवकाश का दिन होने से माता का आशीर्वाद लेने शनिवार से ही भक्तों का सैलाब उमड़ रहा था। लंबी-लंबी कतारों में भक्तों को दर्शन के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा था। लाखों भक्तों ने मां के दर्शन किए। वीआईपी तथा वीवीआईपी गेट पर भी भारी भीड़ थी। शनिवार की रात में तो इतनी भीड़ बढ़ी की राष्ट्रीय महामार्ग पर भी वाहन कछुए की तरह नागपुर से कोराडी तक रेंगते हुए चल रहे थे। कई बार जाम की स्थिति बन रही थी। विशाल दायरा, संस्थान का पूर्वनियोजन, व्यापक इंतजाम की वजह से महिला-पुरुष एक साथ कतार में होने के बावजूद बेखौफ बड़े शांति के साथ सुचारु रूप से मां के दर्शन का लाभ ले रहे थे। राष्ट्रीय महामार्ग से मंदिर पहुंचने अनेक रास्तों की व्यवस्था की गई थी। मंदिर के समीप पार्किंग के लिए पर्याप्त भूमि, मंदिर का पूरा परिसर खुला, भव्य प्रसादालय में मानव सेवा समिति प्रतिदिन भक्तों को चना, हलवा, साबुदाना, भगर आदि का नि:शुल्क वितरण कर रही है। यहां एक लाख से अधिक भक्त प्रसाद ग्रहण करने की बात संस्थान के अध्यक्ष एड. मुकेश शर्मा ने कही है।
मंदिर के ईर्द-गिर्द खिलौने, सिंगाड़े, कमल के फूल, पूजा सामग्री, रंगोली आदि की दुकानें सजी हुई थी। नागपुर से मंदिर तक पुख्ता प्रकाश व्यवस्था की गई है। आकर्षक रोशनाई से मंदिर जगमगा रहा है। ‘जय माता दी’ की जयघोष से पूरा परिसर गूंज रहा है। माता का यह मंदिर 15वीं सदी का है। उस समय इस मंदिर को जाखापुर की महालक्ष्मी जगदंबा का मूल नाम जाखूबाई था। इसलिए जाखापुर नाम पड़ा। हालांकि भक्तों के लिए यह नाम अपरिचित है। सरकारी रिकार्ड के अनुसार जाखापुर रिढी नामक गांव के मंदिर में मां की स्वयंभू मूर्ति है। फुलझेले परिवार की आठवीं पीढ़ी देवी की सेवा में कार्यरत है। राजा भोसले ने पुजारियों के जीवनयापन के लिए यह भूमि मुफ्त में दी थी।