जानिए स्पीच थेरेपी ने कैसे बदल दी मासूम की जिंदगी ?

Learn how did the speech therapy change the life of the child?
जानिए स्पीच थेरेपी ने कैसे बदल दी मासूम की जिंदगी ?
जानिए स्पीच थेरेपी ने कैसे बदल दी मासूम की जिंदगी ?

डिजिटल डेस्क,छिंदवाड़ा। लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। ये कहावत सही साबित होती है छिंदवाड़ा के छिंदा सेठिया में रहने वाले वैभव भरत के परिवार पर।बचपन से ही बोलने और सुनने में अक्षम वैभव स्पीच थेरेपी के जरिए अब धीरे-धीरे ठीक हो रहा है। वैभव सामान्य बच्चों की तरह स्कूल भी जाता है।

दरअसल परासिया के छिंदा सेठिया निवासी शिक्षक मोहित भरत का बेटा वैभव जन्म से ही बोल और सुन नहीं पाता था। परेशान माता-पिता ने अपने बेटे वैभव का इलाज जिला मुख्यालय सहित नागपुर में भी कराया, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। नागपुर से लौटने के बाद वे जिला विकलांग पुनर्वास केंद्र पहुंचे, जहां वैभव को श्रवण यंत्र लगाकर 4 माह तक स्पीच थेरेपी दी, वह भी नाकाम रही। मां अभिलाषा भरत ने उम्मीद नहीं छोड़ी। पुनर्वास केंद्र के सहयोग से वैभव के कानों की जांच कराई। जांच में उसे काकलियर इंप्लांट की जरूरत का पता चला। दो साल पहले मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना के तहत वैभव का 8.50 लाख का ऑपरेशन हुआ। इसके बाद स्पीच थेरेपी ने अब वैभव की जिंदगी बदल दी है। जन्म से 4 साल की उम्र तक सुनने व बोलने में अक्षम वैभव अब सामान्य बच्चों के साथ पढ़ता है। वैभव की मां ने बताया कि स्थानीय निजी स्कूल में वैभव केजी फर्स्ट का स्टूडेंट है।

पुनर्वास केंद्र की स्पीच थेरेपिस्ट कु. रिंकू भारद्वाज की कड़ी मेहनत ने वैभव को बोलना सीखा दिया है। पुनर्वास केंद्र के प्रशासनिक अधिकारी पंचलाल चंद्रवंशी ने बताया कि श्रवण बाधित एवं मूक बच्चों को तो मोटीवेट करना ही पड़ता है। ऐसे बच्चों के माता-पिता यहां-वहां भटक कर निराश होने लगते है, उन्हें भी मोटिवेट करना पड़ता है।
 

Created On :   16 Aug 2017 9:51 AM IST

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