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विथ लेफ्टिनेंट जनरल डी. एस. हुडा सर्जिकल स्ट्राइक पर अपने अनुभव करेंगे साझा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सर्जिकल स्ट्राइक में मुख्य योगदान देने वाले पीवीएसएम, यूवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डी. एस. हुडा अपने अनुभवों को दैनिक भास्कर के कार्यक्रम में शेयर करेंगे। कार्यक्रम इंटरेक्टिव सेशन का आयोजन 8 दिसंबर को शाम 6 बजे चिटणवीस सेंटर, सिविल लाइंस में किया जाएगा।
सर्जिकल स्ट्राइक महत्वपूर्ण रहा
लेफ्टिनेंट जनरल राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने 15 दिसंबर 1976 को इंडियन आर्मी ज्वाॅइन की। साथ ही चौथी बटालियन ऑफ गाेरखा राइफल्स मेें सेवा देने के बाद कमांडेड का पद प्राप्त किया। सर्जिकल स्ट्राइक उनके जीवनकाल का सबसे महत्वपूर्ण काल रहा है। उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक और विशिष्ट सेवा पदक (बार) से सम्मानित किया गया। वह सैन्य कॉलेज ऑफ दूरसंचार इंजीनियरिंग, महू और कर्नल जी.एस., एक स्ट्राइक कोर में प्रशिक्षक रहे हैं।
सेना के मुख्यालय में उन्होंने मिलिट्री ऑपरेशंस डायरेक्टोरेट और क्वार्टर मास्टर जनरल की शाखा में भी कार्यकाल हासिल किया है। उन्होंने इथोपिया और इरिट्रिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन में भी सेवा की है, जिसके लिए उन्हें यूएनएमईई पदक से सम्मानित किया गया। लेफ्टिनेंट जनरल डी. एस. हुडा 30 नवंबर 2016 को भारतीय सेना में करीब 40 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए।
सबसे बड़ा आतंकी हमला था
वैसे तो भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक को एक साल पूरा हो गया है। उड़ी में आतंकवादी हमले के बाद पिछले साल 18 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक करके पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया गया। सर्जिकल स्ट्राइक का असल मकसद यही था। उड़ी हमले में 19 लोग मारे गए थे, कश्मीर में पिछले 20 साल में यह सबसे बड़ा आतंकी हमला था । जम्मू-कश्मीर क्षेत्र के बाहर आतंकियों के लॉचिंग पैड पर निशाना था। एक साथ कई ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की गई। पूरी तैयारी के साथ की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर पहली बार सरकार ने बोला कि हम इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार करेंगे। इसकी प्लानिंग में सेना के कई लोग शामिल थे।
Created On :   5 Dec 2017 3:53 PM IST