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आजीवन कैदी दूसरों को बांट रहा हुनर, आश्रम के लिए बनाया सिंहासन

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। अवस्थी पिता लखन उम्र 32 वर्ष, यह वो शख्स है जो जिला जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। एक गंभीर अपराध का सजायाफ्ता होने के दाग के साथ उसके पास लकड़ी में नक्कासी का हुनर भी है। अपने इस हुनर को वह जेल में अन्य बंदियों को बांट रहा है। आठ से दस बंदियों को लकड़ी पर कारीगरी का प्रशिक्षण दे रहा है। ऐसे में बंदियों के व्यवहार में सुधार और पुनर्वास की शासन की मंशा में उसका हुनर काम आ रहा है। अन्य बंदी भी प्रशिक्षण में खासी रूचि दिखा रहे हैं। जेल के अधिकारियों के मुताबिक एक प्रकरण में अवस्थी को आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है। उसके खिलाफ न्यायालय में और भी मामले चल रहे हैं। इस वजह से उसे अभी जिला जेल में रखा गया है। प्रकरण खत्म होने पर उसे नरसिंहपुर जेल भेजा जाना है।
हुनर का नमूना:10 फीट ऊंचा सिंहासन बनाया
जेल विभाग द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे संसाधनों का प्रयोग कर बंदी अवस्थी ने अपने हुनर से महज 15 दिनों में एक सिंहासन तैयार किया है। लकड़ी का दस फीट ऊंचा व चार फीट चौड़ा सिंहासन में कलाबाजी की खूब सराहना हो रही है। उक्त सिंहासन निर्मला देवी आश्रम के लिए तैयार किया गया है। जिसे गुरुवार को आश्रम को सौंपा गया है।
लकड़ी की मूर्तियां बनाने में भी माहिर-
जेल के अधिकारियों व बंदी अवस्थी की कला के बारे में जानने वालों के मुताबिक वह लकड़ी में कारीगरी में माहिर है। वह लकड़ी के सिर्फ फर्नीचर नहीं बल्कि नक्कासी के जरिए वह मूर्तियों का भी कुशलता से निर्माण करता है। फिलहाल वह साथी बंदियों को टें्रड कर रहा है। शासन की मंशा के अनुसार बंदी ऐसे हुनर पाकर जेल से छूटने के बाद अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी-
बंदी अवस्थी की कारीगरी सराहनीय है। उसके द्वारा बनाए गए सिंहासन से और भी बंदियों को सीखने की प्रेरणा मिल रही है। जेल प्रबंधन बंदियों के सुधार के लिए प्रयास कर रहा है।
- राजकुमार त्रिपाठी, जेलर, जिला जेल
Created On :   27 Jan 2018 12:47 PM IST