- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- कोरोना-लम्पी की तरह नए वायरस...
कोरोना-लम्पी की तरह नए वायरस कोक्जाकी से बच्चों को परेशानी
डिजिटल डेस्क, नागपुर. शहर में स्कूली बच्चों में हैंड, फूट और माउथ डिसीज तेजी से फैल रहा है। सर्दी, बुखार के साथ मुंह में छाले से बच्चों को खासी दिक्कत हो रही है। कोक्जाकी वायरस के चलते हाथ, पैर और मुंह में छाले का संक्रमण हो रहा है। अब तक सैकड़ों मामले सामने आ चुके हैं। यह वायरस पालतू जानवरों के संपर्क में आने से बच्चों में हो रहा है। लगातार मुंह को हाथ लगाने से तेजी से फैल रहा है। सामान्य तौर पर वायरस के चलते नवजात से लेकर 10 साल तक के बच्चों पर बुखार और छाले का प्रभाव हो रहा है। मुंह में छाले के चलते बच्चों में पानी और खाने की दिक्कत होने लगती है। लगातार बुखार और सदी के चलते चिड़चिड़ाहट भी हो जाती है। इस बीमारी का मूल कारण जेनोसिस वायरस है, जो पालतू जानवरों के माध्यम से बच्चों तक पहुंच रहा है। वायरस के संक्रमण से 3 से 10 दिन तक बच्चों को पूरा आराम करने के साथ ही पैरासीटामोल और सर्दी की दवाइयों को लेना पड़ता है। इसके साथ ही संक्रमण से सुरक्षा के लिए लगातार हाथ धोने और आइसोलेशन में रखा जाता है।
लक्षण - हाथ, पैर पर फुंसी और मुंह में छाले
बुखार और सर्दी का प्रभाव छाले के चलते खाने और पीने में दिक्कत
रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से चिड़चिड़ाहट।
जानलेवा नहीं - वायरस के प्रभाव से बच्चों में खासी, कमजोरी और चिड़चिड़ाहट हो रही है। हांलाकि समय से बुखार, सर्दी की दवाई के साथ पूरा आराम से 10 दिन में बच्चे ठीक हो रहे हैं, लेकिन स्कूल में जाने पर संक्रमण को अन्य बच्चों तक पहुंचने से रोकने के लिए आइसोलेशन की सलाह चिकित्सक दे रहे हैं। इसके साथ ही संक्रमित बच्चों को लगातार हाथ धोने की भी सलाह दी जा रही है।
उपाय - पैरासिटामोल और सर्दी की दवाई
लगातार हैंडवाश करना चाहिए, ताकि संक्रमण का फैलाव रोका जा सके
स्कूलों में अथवा भीड़ में जाने से परहेज
पूरा आराम और भरपूर पानी का सेवन।
स्टेफेलोकोकस का भी संक्रमण - बरसात के दौरान कीड़ों का भी प्रभाव होता है। ऐसे में नवजात से 10 साल तक के बच्चों में तेजी से प्रभाव होता है। बरसाती कीड़ों के काटने से स्टेफाइलोकोकस में शरीर पर फुंसी हो जाती है। कुछ ही घंटों में फुंसी में मवाद भर जाता है। इसके बाद बच्चों में तेजी से खुजली होने लगती है। खुजली से फुंसी के फूट जाने पर काले दाग शरीर पर हो जाते हैं। हालांकि करीब 3 से 4 माह में दाग मिट जाते हैं, लेकिन इस दौरान बच्चों की रोग प्रतिरोधक शक्ति पर खासा प्रभाव होता है।
स्कूलों में शिक्षकों से सहयोग की जरूरत
डॉ. शांतनु चव्हाण, बालरोग विशेषज्ञ के मुताबिक जानवरों के माध्यम से बच्चों तक कोरसिटीव वायरस फैल रहा है। कोरोना की भांति सांस से नहीं हाथों से कई बार मुंह तक संपर्क आने से फैलता है। ऐसे में स्कूलों में शिक्षकों ने बच्चों को लगातार हाथ धोने, भीड़ से दूर रहने की हिदायत देनी चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बच्चों को बीमारी के दौरान मेडिकल प्रमाणपत्र देने की बाध्यता नहीं करनी चाहिए, ताकि संक्रमित बच्चों घर पर रहकर आइसोलेशन की समयावधि को पूरा करें।
लगातार हैंडवाश ही बेहतर उपाय
डॉ अमोल येलणे, बालरोग विशेषज्ञ के मुताबिक 4 से 6 दिन तक वायरस असर नहीं दिखाता है, लेकिन 6 दिन के बाद वायरस असर शुरू करता है। संक्रमित बच्चों के संपर्क में आने पर 20 सेकंट में फैल जाता है। मुंह के भीतर गले में लाल रंग के साथ छाले आने शुरू हो जाते हैं। बुखार और सर्दी होने पर तत्काल पैरासिटामोल देने से उपचार किया जा सकता है, इसके लिए एंटीबायोटिक्स देने की जरूरत नहीं है। केवल लगातार हाथ धोने से वायरस की चेन को ब्रेक कर सकते हैं।
Created On :   8 Oct 2022 7:52 PM IST