नन्हे हाथों का हुनर, प्रतिमाओं को आकार देने में महारथी

Little hands master,Mastected in coloring the statues
नन्हे हाथों का हुनर, प्रतिमाओं को आकार देने में महारथी
नन्हे हाथों का हुनर, प्रतिमाओं को आकार देने में महारथी

डिजिटल डेस्क,छिंदवाड़ा। कहते है प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है। शायद ये कहावत सही बैठती है 7 साल की निकिता मालवीय पर। इतनी छोटी सी उम्र में निकिता ने अपने पुश्तैनी हुनर में महारात हासिल कर ली है। निकिता प्रतिमाओं के निर्माण से लेकर रंग भरने तक का काम बड़ी सफाई से करती है,जिसे देख बड़े-बड़े दांतों तले अपनी अंगुली दबा लेते हैं।

दरअसल शहर के पूर्वी बुधवारी के कुम्हार मोहल्ला में रहने वाले सुरेश मालवीय का परिवार तीन पीढ़ियों से भगवान गणेश, लक्ष्मीजी और दुर्गा प्रतिमाओं का निर्माण कार्य कर रहा है। अब यह कार्य उनके परिवार का पुश्तैनी व्यवसाय बन चुका है। इसी से होने वाली आय से परिवार का भरण-पोषण और बच्चों की शिक्षा पूरी हो रही है। सुरेश मालवीय बताते हैं कि उन्होंने प्रतिमा निर्माण का हुनर अपने दादा गुंडा और पिता उदल से सीखा है। अब वे भी अपने और परिवार के बच्चों को प्रतिमाओं का निर्माण से लेकर बारीकी से रंग भरना सिखा रहे है। ताकि आधुनिक दौर में नौकरी नही मिल पाने पर वे अपने इस हुनर से व्यवसाय कर परिवार का पालन आसानी से कर सकेंगे। 

पिता देते है आकार, बेटी भरती है रंग
गणेश जी सहित अन्य मूर्तियों का मिट्टी,लकड़ी से पिता सुरेश मालवीय आकार देने का काम करते है। इसके बाद उनकी पत्नी और 7 साल की बेटी निकिता मूर्तियों में रंग भरकर जीवंत रूप प्रदान करती है। बेटी के इस हुनर से वे खुद चकित हो जाते है कि इतनी कम उम्र में वह इतना बारीक काम खूबसूरती के साथ कैसे कर लेती है। 

7 साल की उम्र से बना रहे प्रतिमा
सुरेश मालवीय ने बताया कि पिताजी के साथ वे 7 साल की उम्र से मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं। शुरूआत में उनसे मिट्टी तैयार कराई जाती थी। इसके बाद धीरे-धीरे मूर्ति बनाने और आकार देने का काम किया जाता था। अब उनके हाथों से बनी गणेश और दुर्गाजी की मूर्तिया छिंदवाड़ा जिला सहित आस-पास के जिलों में भी विराजती है।

नौकरी के लिए दिए 126 इंटरव्यू
प्रतिमा निर्माण कर व्यवसाय से अपने परिवार की जीविका चलाने वाले सुरेश मालवी ने बताया कि उन्होंने MA तक पढ़ाई की है। उसके बाद भी नौकरी नहीं मिली, उन्होंने फिर भी हिम्मत नहीं हारी और प्रतिमा बनाने का काम करने लगे। अब यही कार्य इनका व्यवसाय बन गया है

Created On :   12 Aug 2017 3:13 PM IST

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