जान जोखिम में डाल कर मंजिल तक पहुंच रहे हैं आदिवासी, खुद बनाते हैं पुल

Local residents struggling to reach their destination in village tamia
जान जोखिम में डाल कर मंजिल तक पहुंच रहे हैं आदिवासी, खुद बनाते हैं पुल
जान जोखिम में डाल कर मंजिल तक पहुंच रहे हैं आदिवासी, खुद बनाते हैं पुल

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा / तामिया। ऊंचे नीचे पहाड़ों के बीच एक छोटा सा गांव दौरियापाठा, कुल 12 परिवार, आबादी 77 और सभी परिवार आदिवासी। आदिवासी बाहुल्य तामिया विकासखंड की ग्राम पंचायत रातेड़ के ढाने से पक्की सड़क 5 किमी दूर है। हालात यह है कि साल में 8 महीने यह एक गहरी और खतरनाक पहाड़ी नदी पर बने लकड़ी के पुल को लांघकर अपनी पंचायत तक पहुंचते हैं।

पहली बारिश में यह पुल बह जाता है फिर बारिश खत्म होने तक अपने जरूरतों को पूरा करने के लिए इन्हें चार गुना सफर तय करना पड़ता है। इस गांव की महिलाओं और बच्चों को 10 किमी दूर कर्रापानी गांव की आंगनबाड़ी से पोषण आहार मिलता है तो गांव से 5 किमी दूर गैलडुब्बा गांव की राशन दुकान से सरकारी अनाज मिलता है। गांव के 11 बच्चे गैलडुब्बा के आश्रम में रहकर पढ़ते हैं। मजेदार बात है कि इस क्षेत्र में पदस्थ शासकीय विभाग के मैदानी कर्मचारियों ने भी आज तक गांव नहीं देखा। जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को इस गांव का नाम भी नहीं पता।

10 किमी का सफर बन जाता है 40 किमी  
साल में आठ महीने दौरिया पाठा से गायनी नदी पर लकड़ी का पुल पार कर लोग रातेड़ होते हुए 4 घंटे में 10 किमी पैदल चलकर छिंदी आते है। बरसात में पुल बह जाता है तो ये सफर चार गुना यानी 40 किमी हो जाता है। इस दौरान वे दौरियापाठा से कोलूखेड़ा, सूखाभंड, गैलडुब्बा, सातलवाह तक 20 किमी पैदल और सातलवाह से 20 किमी गाड़ी से तामिया जाते हैं। कई बार पूरा दिन एक तरफ के सफर में ही लग जाता है। दूसरे दिन ये लोग इसी रास्ते से अपने गांव आते हैं।



पहाड़ी झरनों से बुझती है प्यास
इस गांव के सभी परिवार आपस में इतने मिलजुलकर रहते है कि वे हर काम सहकारिता की भावना से करते हैं। हर परिवार से 2-2 हजार रुपए एकत्र कर पीवीसी के पाइप खरीदे गए। गांव से आधा किमी दूर छोटी डाबर झरने से 3 हजार फीट पाइप लाइन बिछाकर बसाहट तक लाई गई। इस पाइप से आधा इंच पाइप का कनेक्शन लेकर लोग दिन भर पानी भरते हैं।

इनका कहना है
मैने अभी तक यह गांव नहीं देखा है, यह एक गंभीर समस्या है। गांव की पूरी जानकारी मंगवा कर अध्ययन करूंगा। सुदूर सड़क बनाने का हर संभव प्रयास होगा।
शैलेंद्र यादव, सीईओ, जनपद पंचायत तामिया।

 

Created On :   12 Jun 2018 1:36 PM IST

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