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3 करोड़ से बने इस फिश मार्केट का नहीं खुला ताला,खुले में ही हो रही बिक्री

नीरज दुबे,नागपुर। शहर में स्वच्छ वातावरण के उद्देश्य से तीन करोड़ की लागत से बनाया गया फिश मार्केट अब तक शुरू नहीं हो सका है। प्रशासकीय लापरवाही के चलते इसका ताला तक नहीं खुल पाया है। वहीं दूसरी ओर अब भी खुले में ही मांस और मछली बेचा जा रहा है।2011 में अत्याधुनिक फिश मार्केट बनाने की योजना शुरू की गई थी। तत्कालीन मनपा आयुक्त श्याम वर्धने की पहल पर नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड के अनुदान से मनपा के मंगलवारी और तुलसीबाग इलाके में बाजार भवन निर्माण को मंजूरी दी गई। नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड ने शत-प्रतिशत अनुदान पर नोडल एजेंसी के रूप में विभागीय मत्स्योद्योग विकास महामंडल को नियुक्त किया। इस योजना में मंगलवारी जोन में बाजार की इमारत समेत पूरी व्यवस्था के लिए 2 करोड़ 99 लाख रुपए और तुलसीबाग में इमारत के लिए 2 करोड़ 50 लाख रुपए के खर्च को मंजूरी दी गई। हालांकि नाग नदी में प्रदूषण रोकने के लिए तुलसीबाग की योजना को स्थगित कर दिया गया। साल 2012 में मंगलवारी के बाजार भवन में 2 करोड़ 13 लाख की लागत से इमारत के निर्माण का ठेका जेबी कन्स्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया। मनपा ने ठेका कंपनी को इमारत का निर्माणकार्य पूरा करने के लिए 12 माह की अवधि दी थी, लेकिन तीन सालों के लंबे इंतजार के बाद इमारत का निर्माणकार्य पूरा किया गया। लेकिन अब भी मछली विक्रेता इस बाजार का इस्तेमाल करने के लिए तैयार नहीं हैं।
नहीं हो रही कानूनी कार्रवाई
नीलामी प्रक्रिया में 104 विक्रेताओं ने दुकानों को किराये पर लिया है, लेकिन कुछ ने अब तक औपचारिक अनुबंध नहीं किया, तो अधिकतर ने किराये की राशि भी नहीं दी है। बावजूद इसके बाजार विभाग द्वारा कानूनी कार्रवाई नहीं की गई। इसके चलते बाजार के ताले ही खुल नहीं पा रहे हैं। नतीजा करोड़ों की लागत से बनी इमारत अब खंडहर में तब्दील होने काे है। वहीं दूसरी ओर इस इमारत के बाहरी हिस्से में अब भी मछली और मांस की बिक्री रास्ते पर ही होने से नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कानूनी प्रक्रिया को जल्द ही आरंभ करेंगे
अत्याधुनिक मछली बाजार में विक्रेताओं को स्थापित करने के लिए कई बार प्रयास किया गया। नीलामी प्रक्रिया में 104 ओटे को लेने वाले 79 विक्रेताओं द्वारा किराये की राशि का भुगतान नहीं करने की शिकायत मिली है। इस किराये की बकाया राशि और ब्याज की रकम का हिसाब निकाला जा रहा है। इसके साथ ही 25 विक्रेताओं से अनुबंध कराने का भी प्रयास किया जा रहा है। मंगलवारी जोन कार्यालय और बाजार विभाग ने कई बार चर्चा कर विक्रेताओं को इमारत के भीतर दुकानों को लगाने की कोशिश की है, लेकिन विक्रेताओं ने गंभीरता नहीं दिखाई है। जल्द ही कानूनी प्रक्रिया को आरंभ कर दोबारा ओटे की नीलामी का प्रयास किया जाएगा।
-सुनील रोटके, अधीक्षक, बाजार विभाग, मनपा, नागपुर
ग्राहक ही नहीं आते
शुरू में अत्याधुनिक मछली बाजार में मछली बिक्री के लिए दुकानें लगाई थीं लेकिन इमारत के भीतर तक ग्राहक पहुंच ही नहीं पाते हंै। इसकी प्रमुख वजह है रास्ते पर ही अन्य दुकानों की मौजूदगी। हमें दुकान लगाने के लिए बाजार विभाग ने सख्ती दिखाई, लेकिन अवैध रूप से रास्ते पर दुकानें लगाने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके साथ ही इमारत में देखभाल और सफाई के भी पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। ऐसी स्थिति में हमारे लिए किराये का भुगतान और व्यापार में नुकसान की दोहरी मार पड़ रही है।
-एक विक्रेता, मछली बाजार, मंगलवारी, नागपुर


Created On :   3 April 2018 2:57 PM IST