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तालाबों के हाल - गड्ढे खोदकर काम बंद, दो साल से बन रहे 74 तालाब

मनरेगा योजना से आरईएस बन रहा तालाब, मजदूरों को नहीं मिल रहा रोजगार, कछुआ गति से काम
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा । ग्रामीण क्षेत्रों में जल व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के लिए स्वीकृत हुए 74 तालाबों का काम गड्ढे खोदने तक सीमित रह गया है। दो साल बाद भी स्थिति यह है कि अधिकारी ये दावा नहीं कर सकते हैं कि अगले छह महीने में भी इन तालाबों का काम पूरा कर लिया जाएगा। हालांकि अफसर कह रहे हैं कि 24 तालाब कंपलीट होने की स्थिति में हैं, लेकिन दूसरी ओर 50 से ज्यादा तालाबों के काम रुके हुए हैं या फिर अधूरे हैं। तामिया के अंतर्गत आने वाले गांवों में बन रहे इन निस्तारी तालाबों में तो गड्ढे भी नहीं खुद पाए हैं। वहीं फील्ड अधिकारियों के अनदेखी का नतीजा है काम में ब्रेक लग गया है। मनरेगा के तहत बनाए जाने वाले इन तालाबों के बनाने का उद्देश्य है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की व्यवस्था के साथ इनके निर्माण के दौरान ग्रामीणों को मनरेगा के तहत रोजगार भी दिलाया जाए। यहां पर दोनों ही मामलों में काम अधूरे हैं। कछुआ गति से चल रहे इन कामों की मुख्य वजह फील्ड के ऑफिसरों की मॉनीटरिंग नहीं होना सामने आ रहा है।
यहां भी काम की रफ्तार धीमी
इसी क्षेत्र के आसपास ही निस्तारी तालाबों का काम चल रहा है, जहां पर काम की र$फ्तार धीमी है। दो साल से ज्यादा होने के बावजूद यहां पर नींव पुराई या फिर गड्ढे किए जा रहे हैं। इसी क्षेत्र के हड़कपुर ग्राम पंचायत के झामर, चावलपानी ग्राम पंचायत के गांव पाठई में भी निस्तारी तालाबों के यही हाल हैं।
इनका कहना है
जुन्नारदेव क्षेत्र में 29 और तामिया में 45 निस्तारी तालाब बन रहे हैं। इनमें से 24 निस्तारी तालाबों का काम कंपलीट होने की स्थिति में हैं। लॉकडाउन और बाद भुगतान में आई कमी के कारण काम की रफ्तार धीमी हुई है। अधिकारी लगातार मॉनीटरिंग कर रहे हैं। पुरतला में काम बंद है। इसके लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया जा रहा है।
- भावेश अग्रवाल, परियोजना प्रबंधक, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग क्रमांक दो
Created On :   22 Dec 2020 6:48 PM IST